जीव स्वशरीर प्रमाण है
जीव स्वशरीर प्रमाण है यह जीव निश्चयनय से लोक प्रमाण असंख्यात प्रदेशी होते हुए भी व्यवहार से अपने शरीर प्रमाण है- यह आत्मा व्यवहारिक नय से, छोटे या बड़े स्वतनु में ही। संकोच विसर्पण के कारण, रहता उस देह प्रमाण सही।। हो समुद्घात में तनु बाहर, अतएव अपेक्षा नहिं उसकी। निश्चयनय से होते प्रदेश, हैं…