जैनागम में वर्णित गणधर प्रमुख दिगम्बर जैनाचार्य गणधरदेव श्री गौतमस्वामी मगध देश में एक ब्राह्मण नाम का नगर था। वहाँ एक शांडिल्य नाम का ब्राह्मण रहता था। उसकी भार्या का नाम स्थंडिला था, वह ब्राह्मणी बहुत ही सुन्दर और सर्व गुणों की खान थी। इस दम्पति के बड़े पुत्र के जन्म के समय ही ज्योतिषी…
नंदीश्वर द्वीप जम्बूद्वीप से आठवाँ द्वीप नंदीश्वर द्वीप है। यह नंदीश्वर द्वीप समुद्र से वेष्टित है। इस द्वीप का मण्डलाकार से विस्तार एक सौ तिरेसठ करोड़ चौरासी लाख योजन है। इस द्वीप में पूर्व दिशा में ठीक बीचों-बीच अंजनगिरि नाम का एक पर्वत है। यह ८४००० योजन विस्तृत और इतना ही ऊँचा समवृत-गोल है तथा…
जैनधर्म एवं भगवान ऋषभदेव द्वारा-गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी नम: ऋषभदेवाय, धर्मतीर्थप्रवर्तिने। सर्वा विद्या-कला, यस्मा-दाविर्भूता महीतले।।१।। जहाँ यह जीव संसरण करता है, चतुर्गति में परिभ्रमण करता है, उसका नाम ‘‘संसार’’ है। यह संसार ‘‘लोक’’ नाम से भी कहा जाता है- ‘‘लोक्यन्ते’’ अवलोक्यन्ते जीवादिषड्द्रव्याणि अस्मिन्निति लोक:’’ जहाँ पर जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल ये छहों…
तीर्थों के विकास की आवश्यकता द्वारा- गणिनी ज्ञानमती माताजी वैदिक संस्कृति में संगम को अर्थात् नदियों को तीर्थ मानकर उनमें स्नान करने को पाप प्रक्षालित करने का एक माध्यम माना गया है, पर जैन संस्कृति के अनुसार तीर्थंकर भगवंतों की कल्याणक भूमियों को तीर्थ मानकर उनकी वंदना-पूजा-अर्चना करने से निश्चित ही पापो का क्षालन हो…