श्री ज्ञानमती माताजी का परिचय (मुख्य)
ज्ञानमती माता जी का परिचय एवं उनकी प्रेरणा से बने कई तीर्थों का वर्णन है इसमें |
ज्ञानमती माता जी का परिचय एवं उनकी प्रेरणा से बने कई तीर्थों का वर्णन है इसमें |
१०८ फुट भगवान ऋषभदेव प्रतिमा के संदर्भ में मूर्ति निर्माण की पावन प्रेरिका गणिनीप्रमुख आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा समस्त दिगम्बर जैन समाज के नाम प्रदत्त अमृत संदेश अनादिनिधन जैनधर्म व शाश्वत जिनशासन के श्रद्धालु भक्तों! ऋषभगिरि-मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्र में निर्मित प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की सर्वोच्च दिगम्बर जैन प्रतिमा जैन संस्कृति एवं भारतीय संस्कृति की…
अपने दृढ़ संकल्प और कर्मठता से सृष्टि पर नया चमत्कार पैदा करने वाली तीन विश्वविभूतियों को चरणवंदन -डॉ. जीवन प्रकाश जैन, जम्बूद्वीप ‘‘जब व्यक्ति के जीवन में किसी पराक्रम, साहस और पौरुष की बात आती है, तब आसमान से सितारे तोड़ लाने और छप्पर फाड़कर अपने हर उद्देश्य में सफल हो जाने की कल्पना करता…
शरदपूर्णिमा का दिन तर्ज—दीदी तेरा देवर…… शरदपूर्णिमा का दिन आया, माँ ज्ञानमती ने जनम पाया। सबको ज्ञान अमृत पिलाया, माँ ज्ञानमती ने जनम पाया।।टेक.।। अवधप्रान्त के इक टिकैतनगर में, पिता छोटेलाल व मोहिनि के घर में। आश्विन सुदी पूर्णिमा शुभ तिथी में, रात्री को नौ बज के पन्द्रह मिनट पे।। पहला चाँद घर…
सुन लो ज्ञान सुन लो ज्ञान की बात, ज्ञानमती माता सुनाती हैं।। टेक.।। पुण्य उदय से नर तन पाया। फिर भी इसे विषयों में गंवाया।। करो न इससे राग, ये काया संग में न जाती है।। सुन लो……।।१।। इसमें इक भगवान छिपा है। परमज्ञानियों को जो दिखा है।। आतम से कर लो राग, यही परमातम…
श्री ज्ञानमती माता तर्ज—सपने में…… श्री ज्ञानमती माता की हो हो…….. श्री ज्ञानमती माताजी की जयंती आई है तिथि शरदपूर्णिमा याद दिलाने आई है-२।। टेक.।। कहें भक्त सुनो मेरी माता, हम सबका तुमसे नाता। हम करें तेरी जयकारा, गूँजे जिससे जग सारा।। हम सबमें तूने ज्ञान की ज्योति जलाई है। तिथि शरदपूर्णिमा याद…
हम ज्ञानमती माता को तर्ज—ये क्या है…… हम ज्ञानमती माता को वन्दन करते हैं। निज श्रद्धा पुष्प चरण में अर्पण करते हैं।। ये मां है, सारे जग की, गणिनी माँ हैं इस वसुधा की। इनकी छवि ऐसी लगती है, शारद माँ जैसी लगती है।। टेक.।। ये बाल ब्रह्मचारिणी प्रथम हैं कहलाई। इनकी…
जयति जय जय तर्ज—जयति जय-जय माँ सरस्वती…… जयति जय जय ज्ञानमति माँ! जयति जय माँ शारदे!।। जयति जय जय बालसति माँ! जयति जय श्रुतशारदे।।टेक.।। ज्ञान गंगा से तेरे हम, ज्ञान का कुछ नीर भर लें। तेरी गरिमा कम न होगी, कितनों की तू पीर हर ले।। जयति जय माँ भारती! तू जग को…