भगवान द्वारा पुत्र-पुत्रियों का विद्याध्ययन- भगवान ऋषभदेव गर्भ से ही अवधिज्ञानधारी होने से स्वयं गुरु थे। किसी समय भगवान ने ब्राह्मी-सुन्दरी को गोद में लेकर उन्हें आशीर्वाद देकर चित्त में स्थित श्रुतदेवता को सुवर्णपट्ट पर स्थापित कर ‘सिद्धं नम:’ मंगलाचरणपूर्वक दाहिने हाथ से ‘अ, आ’ आदि वर्णमाला लिखकर ब्राह्मी कुमारी को ब्राह्मी लिपि लिखने का…
आचार्य श्री जिनसेन दवारा लिखित महापुराण ग्रन्थ जिसमें प्रथम तीर्थंकर भगवान श्री ऋषभदेव के बारे में बताया गया है |
ऋषभदेव भगवान की दो पुत्री थी | गणिनी आर्यिका श्री ब्राह्मी एवं सुन्दरी | ऋषभदेव भगवान ने इनको वर्णमाला लिपि एवं ब्राह्मी लिपि भी सिखाई |
श्री ऋषभदेव के पुत्र ‘भरत’ से ‘भारत’ तीर्थंकर ऋषभदेव राज्यसभा में सिंहासन पर विराजमान थे, उनके चित्त में विद्या और कला के उपदेश की भावना जाग्रत हो रही थी। इसी बीच में ब्राह्मी और सुंदरी दोनों कन्याओं ने आकर पिता को नमस्कार किया। पिता ने आशीर्वाद देते हुये बड़े प्यार से दोनों कन्याओं को अपनी…
भगवान ऋषभदेव के द्वितीय पुत्र भगवान बाहुबलि का चरित्र काव्य -गणिनी ज्ञानमती (चौबोल छंद) श्री जिन श्रुत गुरु वंदन करके वृषभदेव को नमन करूँ। गुणमणि पूज्य बाहुबलि प्रभु के चरण कमल का ध्यान करूँ।। श्री श्रुतकेवलि भद्रबाहु मुनि चन्द्रगुप्त नेमीन्दु नमूँ। शांति सिंधु गणि वीर सिंधु नमि बाहुबली शुभ चरित कहूँ।।१।। युग की आदि में…
भगवान आदिनाथ का प्रथम आहार हस्तिनापुर तीर्थ तीर्थों का राजा है। यह धर्म प्रचार का आद्य केन्द्र रहा है। यहीं से धर्म की परम्परा का शुभारंभ हुआ। यह वह महातीर्थ है जहाँ से दान की प्रेरणा संसार ने प्राप्त की। भगवान आदिनाथ ने जब दीक्षा धारण की उस समय उनके देखा-देखी चार हजार राजाओं ने…
भगवान ऋषभदेव विश्वशांति वर्ष मनाएँ भगवान ऋषभदेव विश्वशांति वर्ष मनाया गया (चैत्र कृ. नवमी-१० मार्च २०१८ से चैत्र कृ. नवमी-२९ मार्च २०१९) प्रेरणा-भारतगौरव दिव्यशक्ति शारदे माँ गणिनीप्रमुख आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी आज हम सभी वर्तमान विश्व में उपस्थित आतंकवाद, हिंसा, विनाश, अशांति, परस्पर शत्रुता, विद्वेष, बदला लेने की भावना आदि विकृतियों से ग्रसित हो रही…
विद्याधर के स्वामी महाबल इसी जम्बूद्वीप में विदेहक्षेत्र के अंतर्गत ‘गंधिला’ नाम का देश है। अपने इस भरतक्षेत्र के सदृश वहाँ पर भी मध्य में विजयार्ध पर्वत है, जिसकी दक्षिण-उत्तर दोनों ही श्रेणियों में विद्याधर लोग निवास करते हैं। इस पर्वत की उत्तर श्रेणी में ‘अलका’ नाम की सुन्दर नगरी है। वहाँ पर ‘महाबल’ नाम…