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Tag: Mahapuraan Saar Second Chapter

Home Posts Tagged "Mahapuraan Saar Second Chapter"

तीर्थंकर चन्द्रप्रभ भगवान

July 22, 2017Harsh JainMahapuraan Saar Second Chapter

तीर्थंकर चन्द्रप्रभ भगवान इस मध्यलोक के पुष्कर द्वीप में पूर्व मेरू के पश्चिम की ओर विदेह क्षेत्र में सीतोदा नदी के उत्तर तट पर एक ‘सुगन्धि’ नाम का देश है। उस देश के मध्य में श्रीपुर नाम का नगर है। उसमें इन्द्र के समान कांति का धारक श्रीषेण राजा राज्य करता था। उसकी पत्नी धर्मपरायणा…

जीव का ऊध्र्वगमन स्वभाव है

July 20, 2017Harsh JainMahapuraan Saar Second Chapter

जीव का ऊध्र्वगमन स्वभाव है जीव जिस स्थान में सम्पूर्ण कर्मों से छूटता है ठीक उसी स्थान के ऊपर एक समय में ऊध्र्वगमन करके लोक के अग्रभाग में जाकर स्थित हो जाता है। चूँकि यह ऊध्र्वगमन उसका स्वभाव है। शंका – जीव जिस स्थान में कर्मो से छूटा है उसी स्थान पर रह जाता है।…

तीर्थंकर नमिनाथ

July 16, 2017Harsh JainMahapuraan saar, Mahapuraan Saar Second Chapter

तीर्थंकर नमिनाथ तीर्थंकर नमिनाथ इसी जम्बूद्वीपसम्बन्धी भरतक्षेत्र के वत्स देश में एक कौशाम्बी नाम की नगरी है। उसमें इक्ष्वाकुवंशी ‘पार्थिव’ नाम के राजा रहते थे और उनकी सुंदरी नाम की रानी थी। इन दोनों के सिद्धार्थ नाम का श्रेष्ठ पुत्र था। राजा ने किसी समय सिद्धार्थ पुत्र को राज्यभार देकर जैनेश्वरी दीक्षा ले ली और…

तीर्थंकर मल्लिनाथ

July 14, 2017Harsh JainMahapuraan saar, Mahapuraan Saar Second Chapter

तीर्थंकर मल्लिनाथ इसी जम्बूद्वीप में मेरूपर्वत से पूर्व की ओर कच्छकावती नाम के देश में एक वीतशोक नाम का नगर है। उसमें ‘वैश्रवण’ नाम का उच्चकुलीन राजा राज्य करता था। किसी समय वह राजा वर्षा के प्रारम्भ में बढ़ती हुई वनावली को देखने के लिये नगर के बाहर गया। वहाँ किसी एक महान राजा के…

तीर्थंकर पद्मप्रभ भगवान

July 8, 2017Harsh JainMahapuraan saar, Mahapuraan Saar Second Chapter

तीर्थंकर पद्मप्रभ भगवान धातकीखंड द्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में सीतानदी के दक्षिण तट पर वत्सदेश है। उसके सुसीमा नगर के अधिपति अपराजित थे। किसी दिन भोगों से विरक्त होकर पिहितास्रव जिनेन्द्र के पास दीक्षा धारण कर ली, ग्यारह अंगों का अध्ययन कर तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया। अन्त में ऊध्र्व ग्रैवेयक के प्रीतिंकर विमान में…

तीर्थंकर अनन्तनाथ

July 7, 2017Harsh JainMahapuraan saar, Mahapuraan Saar Second Chapter

तीर्थंकर अनन्तनाथ धातकीखंडद्वीप के पूर्व मेरू से उत्तर की ओर अरिष्टपुर नगर में पद्मरथ राजा राज्य करता था। किसी दिन उसने स्वयंप्रभ जिनेन्द्र के समीप जाकर वंदना-भक्ति आदि करके धर्मोपदेश सुना और विरक्त हो दीक्षा ले ली। ग्यारह अंगरूपी सागर का पारगामी होकर तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध किया। अन्त में सल्लेखना से मरण कर अच्युत…

तीर्थंकर पार्श्वनाथ

July 7, 2017Harsh JainMahapuraan saar, Mahapuraan Saar Second Chapter

तीर्थंकर पार्श्वनाथ इसी जम्बूद्वीप के दक्षिण भरतक्षेत्र में एक सुरम्य नाम का बड़ा भारी देश है। उसके पोदनपुर नगर में अतिशय धर्मात्मा अरविन्द राजा राज्य करते थे। उसी नगर में विश्वभूति ब्राह्मण की अनुन्धरी ब्राह्मणी से उत्पन्न हुए कमठ और मरुभूति नाम के दो पुत्र थे जोकि क्रमश: विष और अमृत से बनाये हुए के…

तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ

February 12, 2017jambudweepMahapuraan saar, Mahapuraan Saar Second Chapter

तीर्थंकर संभवनाथ इसी भरतक्षेत्र के अंग देश के चम्पापुर नगर में हरिवर्मा नाम के राजा थे। किसी एक दिन वहाँ के उद्यान में ‘अनन्तवीर्य’ नाम के निग्र्रन्थ मुनिराज पधारे। उनकी वन्दना करके राजा ने धर्मोपदेश श्रवण किया और तत्क्षण विरक्त होकर अपने बड़े पुत्र को राज्य देकर अनेक राजाओं के साथ संयम धारण कर लिया।…

तीर्थंकर शान्तिनाथ

February 12, 2017jambudweepMahapuraan saar, Mahapuraan Saar Second Chapter

तीर्थंकर शान्तिनाथ इसी जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में रत्नपुर नाम का नगर है। उस नगर का राजा श्रीषेण था, उसके सिंहनन्दिता और अनिन्दिता नाम की दो रानियाँ थीं। इन दोनों के इन्द्रसेन और उपेन्द्रसेन नाम के दो पुत्र थे। उसी नगर की सत्यभामा नाम की एक ब्राह्मण कन्या अपने पति को दासी पुत्र जानकर उसे त्याग…

तीर्थंकर अभिनन्दननाथ

February 12, 2017jambudweepMahapuraan saar, Mahapuraan Saar Second Chapter

तीर्थंकर अभिनन्दननाथ जम्बूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में सीता नदी के दक्षिण तट पर एक मंगलावती देश है उसके रत्नसंचय नगर में महाबल राजा रहता था। किसी दिन विरक्त होकर विमलवाहन गुरू के पास दीक्षा लेकर ग्यारह अंग का पठन करके सोलहकारण भावनाओं का चिन्तवन किया, तीर्थंकर प्रकृति का बंध करके अन्त में समाधिमरणपूर्वक विजय नाम…

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