अनाधिनिधन महामंत्र, तीर्थ आदि जो अनादि-अनंत हैं (आज जो उपलब्ध हैं) १. णमोकार मंत्र अनादि है। २. चत्तारि मंगल पाठ अनादि है। ३. दो तीर्थ अनादि हैं–अयोध्या, सम्मेदशिखर। ४. मास, तिथियाँ अनादि हैं। श्रावण, भाद्रपद आदि मास, प्रतिपदा, द्वितीया आदि तिथियाँ, कृष्ण-शुक्ल पक्ष। ५. अष्टमी–चतुर्दशीपर्व, नंदीश्वरपर्व, सोलहकारण, दशलक्षण, पंचमेरू व रत्नत्रयपर्व व्रत अनादि हैं। देवगण…
णमोकार मंत्र २.१ जैनधर्म में व्यक्ति पूजा का नहीं, गुण पूजा का महत्व है। गुणों की पूजा को भी प्रश्रय इसलिए दिया गया है, ताकि वे गुण हमें प्राप्त हो जाये। गुण पूजा का प्रतीक णमोकार महामंत्र है। यह मंत्र किसी ने बनाया नहीं है बल्कि सदा से इसी रूप में चला आ रहा है।…
जैनधर्म का मूल मंत्र अनाधिनिधन णमोकार महामंत्र -गणिनी आर्यिका ज्ञानमती णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्वसाहूणं।। जैनधर्म में निहित णमोकार महामंत्र का अर्थ एवं महिमा णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं।।१।। अरिहंतों को नमस्कार हो, सिद्धों को नमस्कार हो, आचार्यों को नमस्कार हो, उपाध्यायों को…
णमोकार माहात्म्य रचयिता— श्री डॉ. सुपार्श्वकुमार जी जैन मुजफ्फरनगर (उ.प्र.) अरिहंत वही होता है जो, चार घातिया करता क्षय। अघाति कर्म का सर्वनाश कर, सिद्ध प्रभु होते अक्षय।१। सर्व संघ को अनुशासन में, रखते हैं आचार्य प्रभु । मोक्षमार्ग का पाठ पढ़ाते , कहलाते उपाध्याय विभु।२। अट्ठाईस मूल गुणों का नित, पालन…
णमोकार महामंत्र: एक वैज्ञानिक अनुचिन्तन सारांश णमोकार महामंत्र अत्यन्त वैज्ञानिक है एवं इस महामंत्र के जाप से शरीर पर सकारात्म प्रभाव पड़ता है। इस मंत्र से शरीर में संचित ऊर्जा दिव्य शक्तियों की प्रकटीकरण का पथ प्रशस्त करती है एवं अन्तोगत्वा कर्मों की निर्जरा में सहायक होती है। मन के साथ जिन ध्वनियों का धर्षण…
णमोकार महामंत्र एवं चत्तारिमंगल पाठ णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व साहूणं।। चत्तारि मंगलं-अरिहंत मंगलं, सिद्ध मंगलं, साहु मंगलं, केवलि पण्णत्तो धम्मो मंगलं। चत्तारि लोगुत्तमा-अरिहंत लोगुत्तमा, सिद्ध लोगुत्तमा, साहु लोगुत्तमा, केवलिपण्णत्तो धम्मो लोगुत्तमा। चत्तारि सरणं पव्वज्जामि-अरिहंत सरणं पव्वज्जामि, सिद्ध सरणं पव्वज्जामि, साहु सरणं पव्वज्जामि, केवलि पण्णत्तो धम्मो सरणं पव्वज्जामि। …
णमोकार मंत्र की साधकता णमोकार मंत्र की साधकता एक तुलनात्मक विश्लेषणजैन शास्त्रों में मंत्र विद्या विद्यानुप्रवाद एवं प्राणवाय पूर्वों का महत्वपूर्ण अंग रही है। इसका ७२ कलाओं में भी उल्लेख है। इस विद्या के बल पर ही भूतकाल में अनेक आचार्यों ने जैन तंत्र को सुरक्षित, संरक्षित एवं संबर्धित किया है। फलत: यह एक प्राचीन…
णमोकार महामंत्र णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व-साहूणं।।१।। षट्खण्डागम (धवला टीका) पुस्तक १ पृ. ८। इदाणिं देवदा-णमोक्कार-सुत्तस्सत्थो उच्चदे। षट्खण्डागम (धवला टीका) पुस्तक १, पृ. ४३ से ४५ तक। ‘णमो अरिहंताणं’ अरिहननादरिहन्ता। नरकतिर्यक्कुमानुष्य-प्रेतावास—गत्राशेषदुःखप्राप्तिनिमित्तत्वादरिर्मोहः। तथा च शेषकर्मव्यापारो वैफल्यमुपेयादिति चेन्न, शेषकर्मणां मोहतन्त्रत्वात्। न ”हिमोहमन्तरेण शेषकर्माणि स्वकार्यनिष्पत्तौ व्यापृतान्युपलभ्यन्ते, येन तेषां स्वातन्त्रयं जायेत। मोहे विनष्टेऽपि…
णमोकार महामंत्र की महिमा प्रस्तुति-गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं।।१।। अर्थ-अर्हंतों को नमस्कार हो, सिद्धों को नमस्कार हो, आचार्यों को नमस्कार हो, उपाध्यायों को नमस्कार हो और सर्व साधुओं को नमस्कार हो। पंचपरमेष्ठी वाचक इस महामंत्र में सम्पूर्ण द्वादशांग निहित है। यथा-‘‘आचार्यों ने द्वादशांग जिनवाणी…