अकाल में अध्ययन का कुफल पुत्र- पिताजी!आज मैंने मुनिराज के मुख से उपदेश में सुना है कि जो अकाल में अध्ययन करते हैं,वे ज्ञानावरण के क्षयोपशम के बजाए उसका बन्ध कर लेते हैं | तो क्या ऐसा भी हो सकता है कि धार्मिक ग्रन्थों का पठन-पाठन और स्वाध्याय ज्ञान को घटाने में कारण बन जाय…
खेल में भी कैसा मेल वीरकुमार-चलो चलें राजकुमार! कुछ देर पार्क में चलकर खेलकूद में ही मनोरंजन किया जाए। राजकुमार-मुझे तो पढ़ाई करनी है वर्ना स्कूल में पिटाई होगी। वैसे भी मेरे पिताजी रोज मुझे यही शिक्षा देते है- खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब। पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नबाब।। वीरकुमार-यह तो ठीक है मित्र! पढ़ने लिखने से…
संजयन्त मुनि पर उपसर्ग जम्बूद्वीप के बीचोंबीच में सुमेरू पर्वत है जिसके कारण विदेह क्षेत्र दो भागों में विभक्त हो गया है-पूर्व विदेह और पश्चिम विदेह। इन विदेह क्षेत्रों में सतत तीर्थंकर विहार करते रहते हैं। पश्चिम विदेह के अन्तर्गत गन्धमालिनी नामक देश है उसकी प्रमुख राजधानी वीतशोकपुर है । उस वीतशोकपुर के राजा वैजयन्त…
रानी चेलना अध्यापिका– बालिकाओं! तुम्हेँ चंदनबाला अथवा रानी चेलना जैसा आदर्श बनना चाहिये सुप्रभा- बहन जी! आज हमें आप संक्षेप में चेलना रानी का जीवनवृत्त बतालइए अध्यापिका– अच्छा सुनो!वैशाली के रजा चेटक की सात कन्याएं थीं,जो रूप और गुणों में सर्वत्र प्रसिद्ध थीं ” उनमें सबसे बड़ी प्रियकरिणी ‘त्रिशला’ थीं,जो कि कुण्डलपुर के राजा सिद्धार्थ…
संक्लेश का फल सुप्रभा– बहन कनकप्रभा ! आज स्वाध्याय करते हुए मैंने बहुत ही ह्रदयद्रावक एक कथा पढ़ी है,सो मैं तुम्हेँ सुनाती हूँ कनकप्रभा– हाँ बहन ! जरुर सुनाओं ! एतिहासिक घटनाओं को सुनने से ह्रदय पर बहुत ही अच्छा प्रभाव पड़ना है और मन सहसा पाप से भीरु हो उठता है सुप्रभा – जिस…
कैसा है कल्पद्रुम मंडल विधान अकलंक—समझ में नहीं आता निकलंक। आज कल्पदु्रम मंडल विधान की बड़ी धूम मची हुई है। यह कौन सी पूजा है आज तक तो उसका नाम कभी सुना नहीं था ? निकलंक—हाँ भैय्या! बात तो यही है। काफी दिनों से पोस्टरों में मैं पढ़ रहा था कि जम्बू्द्वीप हस्तिनापुर में कोई…
एक राज धर्मपत्नियाँ अगर घर के सभी सदस्यों को अपनी मुट्ठी में बंद रखना चाहती हैं तो परिवार के सदस्यों को भोजन से पहले भजन करने की प्रेरणा जरूर दें, जिससे उनके जीवन में भजन और भोजन दोनों की अहमियत रह सके। महाभारत में वर्णन आता है कि श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नि सत्यभामा को द्रोपदी…
हंसद्वीप में श्रीपाल, धवल सेठ का आगमन (महासती मैनासुन्दरी) ९ – हंसद्वीप में श्रीपाल, धवल सेठ का आगमन एवं श्रीपाल के महामंत्र के प्रभाव से जिनमंदिर के वङ्का के किवाड़ खुले श्रीपाल एवं धवल सेठ अपने पूर्ण परिकर के साथ हंसद्वीप में पहुँच गये। यहाँ के वन, उपवन एवं शहर की शोभा को देखकर बहुत…