जंगल की आग
जंगल की आग (काव्य चालीस से सम्बन्धित कथा) देखते ही देखते करोड़ों की संपत्ति स्वाहा हो गई। प्रचण्ड अग्नि की लपलपाती हुई जिह्वा ने क्षण मात्र में लक्ष्मीधर जी की समस्त विभूति राख में परिणत कर दी। डेरे में जितने भी तम्बू लगे थे-सब के सब अग्नि देवता की भेंट चढ़ गये।माल-असबाव से लदी हुई…