भाग्योदया!
भाग्योदया यह संसार पुन्य पाप का खेल है। कभी पुण्य का उदय आता है तो मानव को अनायास संसार के वैभव प्राप्त हो जाते हैं और जब पाप का उदय आता है तब देखते—देखते सारी सम्पदा विलीन हो जाती है, जैसे पवन के झकोरों से बादलों का समूह। वास्तव में यह संसार संयोग—वियोग सुख—दुख और…