ग्वाल-बाल का राज्याभिषेक
ग्वाल-बाल का राज्याभिषेक (काव्य तीस एवं इकत्तीस से सम्बन्धित कथा) निर्धन गोपाल दरिद्रता के शिकंजे में भलीभांति जकड़ चुका था। लगातार तीन वर्ष की फसलें अनाज खाकर निरा-केवल भूसा उगल रहीं थी। साहूकार का सूद मूल-धन से दूना हों रहा था और इधर तीन-तीन अविवाहित लड़कियाँ थीं जो निर्दय-निर्मम साहूकार के सूद से भी अधिक…