भ्रान्त पथिक का भाग्य
भ्रान्त पथिक का भाग्य (काव्य दस से सम्बन्धित कथा) अन्धकूप में पड़े हुए सेठ जी अपने अमूल्य जीवन की अन्तिम घड़ियाँ गिन ही रहे थे कि एकाएक छम…छम…छमा छम की मनोमुग्धकारी सुरीली ध्वनि से वे सिहर उठे। स्त्री वेद की भावना से नहीं; अपने उद्धार की कल्याणमयी कामना से।प्रश्न है कि एकान्त में स्त्री की…