प्रज्ञा और प्रमाण का ओचित्य
‘प्रज्ञा’ और ‘प्रमाण’ का औचित्य लोक में अनेकों प्रसंग ऐसे होते हैं, जहाँ ‘प्रज्ञा’ का प्रयोग अपेक्षित होता है, क्योंकि परिस्थितियाँ या तो अस्पष्ट होती हैं या भ्रमोत्पादक या फिर विपरीत ही बात को सिद्ध कर रही होती हैं; ऐसी स्थिति में व्यकित अपनी प्रज्ञा एवं विवेक के आधार पर निर्णय लेता है। तथा कई…