सोलहकारण भावना षट्खण्डागम ग्रन्थ में १६ भावनाओं के नाम का क्रम इस प्रकार है तथा इनके लक्षण भी इसी प्रकार लिए हैं— कदिहि कारणेहिं जीवा तित्थयरणामगोदं कम्मं बंधंतिषट्खण्डागम धवला पु. ८, पृ.-७६, ७८, ७९। ?।।३९।। सूत्रार्थ — कितने कारणों से जीव तीर्थंकर नाम-गोत्रकर्म को बांधते हैं ?।।३९।। तत्थ इमेहि सोलसेहि कारणेहि जीवा तित्थयरणामगोदकम्मं बंधंति।।४०।। सूत्रार्थ…
आईस्क्रीम ऐसे जमायें आईस्क्रीम जमाने के लिये स्टील की अपेक्षा प्लास्टिक के ढक्कन कंटेनर का प्रयोग करें। कंटेनर को ऊपर तक भरने की अपेक्षा थोड़ा सा खाली रखें ताकि हवा का आवागमन सुगमता से हो सके। बिजली की आँखमिचौली के चलते आईस्क्रीम जिस दिन खानी है उसके दो दिन पूर्व जमायें। १/२ लीटर दूध…
इन्हें भी आजमाइये चीनी के डिब्बे से चीटियों को दूर रखने के लिए उसमें दो इलायची डाल दें। लिफाफे के चिपक जाने पर गोंद लगे हिस्से में पानी लगाकर कुछ देर रखें, लिफाफा खुल जाएगा। सूजी को बिना तेल या घी डाले हलका सुनहरा होने तक तलें, उसमें कीड़े नहीं पड़ेगे। दही जमाते समय नींबू…
यहाँ से मरकर सम्यग्दृष्टि मनुष्य विदेह में जन्म क्यों नहीं लेंगे ? यहाँ के इस कर्मभूमि में मनुष्य यदि सम्यग्दर्शन को ग्रहण कर लेते हैं तो देवगति में ही जाते हैं। यदि पहले नरकायु बांध ली है पीछे सम्यग्दर्शन प्राप्त किया है तो वे प्रथम नरक में जायेंगे। यदि पहले तिर्यंचायु बांध ली है और…
गोचर ने फिर बनाया विश्व कीर्तिमान मिट्टी की लघु आकृतियां बनाकर गोल्डन बुक में दर्ज कराया नाम जीवन की भागदौड़ व पाश्चात्य संस्कृति के चलते वर्तमान में लोग अपने संस्कार व संस्कृति भुला चुके हैं । साथ ही साथ उन वस्तुओं को भी भूल चुके हैं या किनारा कर चुके हैं, जिन्हें हमारे पूर्वजों ने…
समयसार के पाठ क्रमांक ३ समयसार की गाथा क्रमांक ४०८, ४१० एवं ४१३ में एक शब्द आया है ‘पासंडिय’ या ‘पासंडी’। देखें- ‘‘पासंडिय लिंगाणि य गिहिलिंगाणि य बहुप्प याराणि ।….. ४०८।। ण वि एस मोॅक्खमग्गो पासंडिय गिहिमयाणि लिंगाणि ।… ४१०।। पासंडिय लिंगेसु व गिहिलिंगेसु व बहुप्पयारेसु …………. ४१३।। उक्त सन्दर्भों में आचार्य कुन्दकुन्द बताना चाहते…
आयुर्वेदिक दवाइयाँ *कब्ज के लिए आयुर्वेदिक उपचार* कब्ज होने का अर्थ है आपका पेट ठीक तरह से साफ नहीं हुआ है या आपके शरीर में तरल पदार्थ की कमी है। कब्ज के दौरान व्यक्ति तरोजाता महसूस नहीं कर पाता। अगर आपको लंबे समय से कब्ज रहता है और आपने इस बीमारी का इलाज नहीं कराया…
धर्म की धुरी—हस्तिनापुर सारांश कार्तिकेयानुप्रेक्षा ग्रंथ में स्वामी कार्तिकेय ने धर्म को अनेक रूपों में परिभाषित किया है। मनुस्मृति एवं जैन परम्परा के सर्वप्रथम संस्कृत भाषामय सूत्रात्मक ग्रंथ तत्वार्थसूत्र में धर्म के दश लक्षण बताये गये हैं। इन सभी परिभाषाओं एवं लक्षणों में उपासना पद्धतियों या कर्मकाण्ड को कोई स्थान नहीं दिया गया अपितु इसके…
प्रयाग परिक्षेत्र में जैन धर्म एवं कला प्रयाग/इलाहाबाद परिक्षेत्र प्रयाग/इलाहाबाद परिक्षेत्र के कुछ स्थल वैदिक धर्म के साथ—साथ जैन और बौद्ध धर्मों से भी प्राचीन काल से सम्बद्ध रहे हैं। मध्यकालीन तीर्थमालाओं में प्रयाग नगर को प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ के दीक्षा और केवलज्ञान कल्याणकों से सम्बन्धित बताया गया है। ज्ञानसागर (१६वीं—१७वीं शती) ने सर्वतीर्थवन्दना नामक…