सर्वार्थसिद्धि में वर्णित नय विमर्श -डॉ. नरेन्द्र कुमार जैन नयप्रक्रिया में तीर्थकरों की तीर्थ परम्परा सुरक्षित है, जिसे अर्थाधिगम के लिए ज्ञान-प्रमाण की तरह ही स्वीकार किया गया है । विभिन्न विचारधाराओं के सामान्य और विशेष वर्गीकरण के मूल में समन्वय समग्रता तथा विश्लेषण- आशिक सत्यताएं ही दृष्टिगोचर होती हैं । परन्तु जब इनमें से…
मंगलाचरण श्रीमते सकलज्ञान-साम्राज्यपदमीयुषे। धर्मचक्रभृते भर्त्रे , नम: संसारभीमुषे।।१।। जो अनन्तचतुष्टयरूप अन्तरंग और अष्टप्रातिहार्यरूप बहिरंग लक्ष्मी से सहित हैं, जिन्होंने समस्त पदार्थों को जानने वाले केवलज्ञानरूपी साम्राज्य का पद प्राप्त कर लिया है, जो धर्मचक्र के धारक हैं, लोकत्रय के अधिपति हैं और पंच परावर्तनरूप संसार का भय नष्ट करने वाले हैं, ऐसे श्री अर्हन्तदेव को…
आपका वजन घटा सकती है आपकी आय अधिक वजन हमारे स्वास्थ्य को तो प्रभावित करता ही है, हमारी आय को प्रभावित करता है। जैसा कि हम जानते हैं, बाडी मास इंडेक्स से मोटापे को नापा जाता है। ९ यूरोपियन देशों में हुए एक शोध के अनुसार बाडी मास इंडेक्स (बी एम आई) में १० प्रतिशत…
चारों अनुयोगों की सार्थकता द्वादशांग श्रुतं भाव-श्रुतञ्चाप्युपलब्धये। चतुरनुयोगाब्धौ मेऽनिशमन्तोऽवगाह्यताम्।।७।। द्वादशांग श्रुत और भावश्रुत की उपलब्धि के लिये चारों अनुयोगरूपी समुद्र में मेरा मन नित्य ही अवगाहन करता रहे। जिनेन्द्र भगवान के मुखकमल से निर्गत पूर्वापर विरोधरहित जो वचन हैं उन्हें आगम कहते हैं। उसके ही प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरणानुयोग और द्रव्यानुयोग ये चार भेद हैं। इन…
जैन शासन मे यन्त्र विद्या —गणधर मुनि १०८ श्री कुन्थुसागजी ‘ (स्व० आचार्य १०८ श्री महावीरकीर्तिजी के शिष्य)’ द्वादशांग वाणी के अन्तर्गत दृष्टिवाद अङ्ग के पूर्वरूप चौदह भेदों में ‘विद्यानुवाद’ नामक पूर्व कहा गया है, उसी विद्यानुवाद पूर्व से निस्सरित विद्या , मंत्र और यंत्र विधान है। विद्या—जिस मंत्र की अधिष्ठातृ देवी हों, मंत्र—जिसका अधिष्ठाता…
प्राकृत भाषा एवं उसका महत्व डॉ. धर्मचन्द्र जैन प्राकृत भाषा भारत की भाषा है। यह जनभाषा के रूप में लोकप्रिय रही है। जनभाषा अथवा लोकभाषा ही प्राकृत भाषा है । इस लोक भाषा ‘प्राकृत’ का समृद्ध साहित्य रहा है, जिसके अध्ययन के बिना भारतीय समाज एवं संस्कृति का अध्ययन अपूर्ण रहता है। प्राकृत में विविध…
गौतम गणधर स्वामी भगवान महावीर स्वामी के बाद ६८३ वर्ष तक ही द्वादशांग रहे हैं कसायपाहुड़ (जयधवला टीका) पुस्तक-१ का प्रमाण जिणउवदिट्ठत्तादो होदु दव्वागमो पमाणं, किन्तु अप्पमाणीभूदपुरिसपव्वोलीकमेण आगयत्तादो अप्पमाणं वट्टमाणकालदव्वागमो त्ति ण पच्चवट्ठादुं जुत्तं, राग-दोष-भयादीदआइरिय-पव्वोलीकमेण आगयस्स अप्पमाणत्तविरोहादो। तं जहां, तेण महावीर- भडारएण इदंभूदिस्स अज्जस्स अज्जखेत्तुप्पण्णस्स चउरमल-बुद्धिसंपण्णस्स दित्तुग्गतत्ततवस्स अणिमादिअट्ठविह-विउव्वणलद्धिसंपण्णस्स सव्वट्ठसिद्धिणि-वासिदेवेहिंतो अणंतगुणबलस्स मुहुत्तेणेक्केण दुवालसंगत्थगंथाणं सुमरण-परिवादिकरणक्खमस्स सयपाणिपत्तणिवदिदरव्वं पि…
घर की वस्तुओं से सौन्दर्य टिप्स यदि आप रूसी से परेशान हैं तो दो चम्मच सरसों के तेल में यदि नींबू निचोड़कर सिर में मालिश करें तो रूसी से निजात पा सकते हैं। यदि आपके बाल रूखे हैं तो बालों में शहद मिलाकर आधे घंटे छोड़े फिर धोने पर बालों में स्वभाविक चमक आ जाती…
महिलाओं के कर्तव्य संसार की दृष्टि में स्त्री और पुरुष दो अंग हैं। जैसे कुभकार के बिना चाक से बर्तन नहीं बन सकते हैं अथवा कृषक के बिना पृथ्वी से धान्य की फसल नहीं हो सकती है उसी प्रकार स्त्री-पुरुष दोनों के संयोग के बिना सृष्टि की परम्परा नहीं चल सकती है। इतना सब कुछ…