श्रमण—संस्कृति की अनमोल विरासत : जैन—पाण्डुलिपियाँ!
श्रमण—संस्कृति की अनमोल विरासत : जैन—पाण्डुलिपियाँ प्रतिभा—मूर्ति प्रो. डॉ. हीरालाल जी के साथ मुझे राजकीय प्राकृत जैन विद्या एवं अहिंसा शोध संस्थान , वैशाली (बिहार) में लगभग ५ वर्षों तक एक साथ रहने का सौभाग्य मिला था वहाँ वे डाइरेक्टर थे और मैं लाईब्रेरियन । प्रतिदिन मेरा संध्या कालीन भ्रमण उनके साथ ही होता था।…