सम्यग्दर्शन की उत्पत्ति के कारण सम्यग्दर्शन किसको, कब और कैसे होता है ? ये तीन बातें ही मुख्यतया ज्ञातव्य हैं। वह भव्य जीव के ही होता है, अभव्य को नहीं। काललब्धि आदि के मिलने पर ही होता है, उसके बिना नहीं और अन्तरंग तथा बहिरंग कारणों से ही होता है बिना कारण के नहीं! हम…
खण्डगिरि-उदयगिरि दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र मैं अभी जून के अंतिम सप्ताह में इस क्षेत्र की यात्रा करके आया हूँ। इस सिद्धक्षेत्र के बारे में अपने विचार व अनुभव आप सभी को बताना चाहता हूँ। मैं यहाँ पर २—३ दिन रहा, इस सिद्धक्षेत्र की दूरी भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से ८ कि. मी. है व भुवनेश्वर एयरपोर्ट से…
‘जैनदर्शन’ और ‘ईश्वर’ कतिपय विचारक जैनदर्शन को इसलिए ‘नास्तिक दर्शन’ कहते हैं कि ‘यह दर्शन ईश्वर को नहीं मानता’—किन्तु उनका यह चिन्तन नितान्त भ्रामक एवं दुराग्रहपूर्ण है; क्योंकि जैनदर्शन ईश्वर को मानता है। आत्मा के पर्यायगत विकास की परिपूर्णता को ही जैनदर्शन में परमात्मा या ईश्वर माना गया है तथा इस विकास की चौदह श्रेणियाँ…
बंधप्रत्यय बंध प्रत्यय अर्थात् बंध के कारण चार माने हैं। श्री गौतमस्वामी ने प्रतिक्रमण पाठ में अनेक बार—चउण्णं पच्चयाणं।’’ चउसु पच्चएसु।।’’टीकाकारों ने मिथ्यात्व, अविरति, कषाय और योग ऐसे नाम दिये हैं। षट्खण्डागम में तो अनेक स्थलों पर ये प्रत्यय चार ही माने हैं। षट्खण्डागम में तृतीय खण्ड का नाम ही ‘‘बंध स्वामित्व-विचय’’ है। धवला पु….
रतनपुरी तीर्थ ११. तीर्थंकर धर्मनाथ जन्मभूमि पन्द्रहवें तीर्थंकर श्री धर्मनाथ भगवान की जन्मभूमि ‘‘रतनपुरी’’ तीर्थ अयोध्या के समीप वहाँ से २४ किमी. दूर है। इसके रेलवे स्टेशन का नाम ‘‘सोहावल’’ है। तीर्थ का एक नाम ‘‘रौनाही’’ भी है, इसी नाम से वर्तमान में तीर्थ की प्रसिद्धि सार्थक है। यहाँ दिगम्बर जैन के दो मंदिर हैं…