मुनि और आर्यिका की चर्या में अन्तर!
मुनि और आर्यिका की चर्या में अन्तर आर्यिका जिनमती माताजी ( समाधिस्थ ) – शिष्या पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी साधु का लक्षण वीतरागता है, पूर्ण वीतरागता यथाख्यातचारित्र में होती है, उस परमोच्च भाव का ध्येय बनाकर भव्य जीव मोक्षमार्ग पर आरूढ़ होते हैं, ‘‘सम्यग्दर्शनज्ञज्ञनचारित्राणि—मोक्षमार्ग:’’ सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र मोक्षमार्ग है । जीवादि सात तत्त्वों…