सल्लेखना- 1!
सल्लेखना गतांक से……… आलोचना के दस दोष अंनुकंपित, अनुमानित, यद्दृष्ट, स्थूल, सूक्ष्म, दन्न, शब्दकुलित, बहुजन, अव्यक्त और तत्सेवी। गुरु के मन में अपने विषय में दया उत्पन्न करके आलोचना करना अनुकंपित दोष है। गुरु के अभिप्राय को किसी उपाय से जानकर आलोचना करना अनुमानित दोष है। जो दोष किसी न देखे हैं केवल वही दोष…