षडावश्यक!
षडावश्यक लेखक – पूज्य १०८ आचार्य श्री अजितसागर जी महाराज ( समाधिस्थ ) मुनि और श्रावक दोनों के लिये आगम में कुछ ऐसे कार्य निश्चित किये गये हैं जिनका करना उन्हें अनिवार्य होता है। ऐसे कार्यों को आवश्यक कहा गया है। इस विवक्षा में आवश्यक शब्द की निरुक्ति ‘अवश्यं करणीयं आवश्यकम्’ होती है। पण्डित प्रवर…