शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्!
शरीरमाध्यम् खलु धर्मसाधनम् आचार्य विद्यानन्द मुनि जैनाचार्य पूज्यपाद, श्रुतकीर्ति, वीरसेन, कुमारसेन, पात्रकेसरी, कुमारसेन, सिद्धसेन, दशरथगुरु मेघनाद, समन्तभद्र एवं जटाचार्य आदि ने वैद्यक संबंधी ग्रंथ रचकर ‘कायशुद्धि’ की शल्य चिकित्सा का विस्तृत वर्णन किया है। ‘कल्याणकारक’ ग्रंथ में उग्रादित्य आचार्य ने भी कुछेक आचार्यों के नाम व उनके रचित ग्रंथों के विषय को उद्धृत किया है।…