श्रावकों को ‘पुरुषार्थ देशना’ की उपयोगिता!
श्रावकों को ‘पुरुषार्थ देशना’ की उपयोगिता जैनदर्शन, संसार—सृजन व संचालन में किसी एक सर्वशक्ति संपन्न संचालक की सत्ता स्वीकार नहीं करता। अपितु कुछ ऐसे समवाय या तत्त्व हैं, जिनके योग से यह जगत स्वत: संचालित है। वे तत्त्व हैं—काल, स्वभाव, नियति, पुरुषार्थ और कर्म। उक्त पाँच समवायों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण—पुरुषार्थ है। पुरुषार्थ—व्यक्ति को लक्ष्य तक…