श्रावकाचारों में वर्णित सल्लेखना, विधि एवं साधक सल्लेखना का स्वरूप जैन परम्परा में मरण की सार्थकता ओर वीतरागता की कसौटी के रूप में सल्लेखना की स्वीकृति है। सल्लेखना शब्द सत् लेखना का निष्पन्न रूप है। सत् का अर्थ है सम्यक् रूप से तथा लेखना का अर्थ है कृश या दुर्बल करना। आचार्य पूज्यपाद स्वामी ने…
[[श्रेणी:सूक्तियां]] ==१०० अच्छे काम== * यदि संयोगवश कोई उस व्यसन में फंसा हुआ हो जिसमें आप पहले से ही फंसे हुए हैं तो तब तक उपदेश न देना जब तक आप स्वयं उससे मुक्त न हो लें। स्वयं को व्यसन-मुक्त करना। * प्रदर्शन की भूख, यदि है तो उसे संभव प्रयत्न के साथ उत्तरोत्तर घटाना।…
मानव जीवन में श्रावकाचार : वर्तमान परिप्रेक्ष्य जीवन की क्रमिकता अधिकांश दर्शनों में स्वीकार की गयी है। यदि कोई कहे कि – ‘मैं वर्तमान में जो हूँ, मात्र वही हूँ – न मेरा कोई अतीत है और न कोई भविष्य’ – इस कथन में कितनी सच्चाई है? इसे कहने या समझाने की जरूरत नहीं है।…
मंगलाचरण णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं।।१।। बहिरन्तस्तपांसि ये, कुर्वन्तो ध्यान बन्हिना। कर्मेन्धनानि संदह्य, सिद्धास्तान् नौमि तान्यपि।।१।। अर्थ – जिन्होंने बहिरंग और अन्तरंग ऐसे बारह तपों को करते हुए ध्यानरूपी अग्नि के द्वारा कर्मरूपी ईंधन को जलाकर सिद्धपद प्राप्त कर लिया है, उन सिद्ध भगवन्तों को एवं उन बारह तपों…
रोग एवं दवाइयाँ साइनस का रोग मिटाए योग साइनस नाक का एक रोग है। आयुर्वेद में इसे प्रतिश्याय नाम से जाना जाता है। सर्दी के मौसम में नाक बंद होना, सिर में दर्द होना, आधे सिर में बहुत तेज दर्द होना, नाक से पानी गिरना इस रोग के लक्षण हैं। इसमें रोगी को हल्का…
जिनकल्पी और स्थविरकल्पीमुनि ‘‘जिनेन्द्रदेव ने जिनकल्प और स्थावरकल्प ऐसे दो भेद किये हैं। जिनकल्प-जो उत्तम संहननधारनी हैं। जो पैर में कांटा चुभ जाने पर अथवा नेत्र में धूलि आदि पड़ जाने पर स्वयं नहीं निकालते हैं। यदि कोई निकाल देता है तो मौन रहते हैं। जलवर्षा होेने पर गमन रुक जाने से छह मास तक…
हस्त रेखा —एक विज्ञान (हाथ देखना सीखे) हमारी हथेली में कई प्रकार की रेखाएँ और चिन्ह आदि निर्मित होते हैं, जो जीवन की सम्पूर्ण घटनाओं को प्रकट करते हैं। देखिये— चौकोर — यदि हाथ की हथेली में किसी भी ओर से आकर भिन्न—भिन्न चार रेखाएं मिलकर एक चौकोर की रचना करें तो जातक किसी निश्चित…