12. मूलाचार सार
मूलाचार सार (१) मूलगुण अधिकार श्री कुन्दकुन्द देव अपरनाम श्री वट्टकेर स्वामी द्वारा रचित मूलाचार ग्रंथ की टीका के प्रारंभ में सिद्धान्त चक्रवर्ती श्री वसुनंदि आचार्य ने भूमिका में कहा है कि यह ग्रंथ आचारांग के आधार से लिखा गया है और आचारांग समस्त श्रुतस्कंध का आधारभूत है। ‘‘श्रुतस्कंधाधारभूतमष्टादशपदसहस्रपरिमाणं, मूलगुणप्रत्याख्यान-संस्तर-स्तवाराधना-समयाचार (समाचार)-पंचाचार-पिंडशुद्धिषडावश्यक- द्वादशानुप्रेक्षानगारभावना-समयसार-शीलगुणप्रस्तार-पर्याप्त्याद्यधिकार-निबद्धमहार्थगभीरं लक्षणसिद्धपदवाक्यवर्णोपचितं, घातिकर्मक्षयोत्पन्नकेवलज्ञान-प्रबुद्धाशेषगुणपर्यायखचितषड्द्रव्य-नवपदार्थ जिनवरोपदिष्टं,…