सरस्वती मंगल आरती!
सरस्वती मंगल आरती पं. आशाधर सूरि जय मंगलं भवतु शुभमंगलं, जय शीलविमलतरललितांगि ते ।।१।। अर्थ:- जय हो, मंगल हो, शुभ मंगल हो। शील, अति विमल एवं ललित अंगो वाली हे सरस्वती तुम्हारी जय हो। सुरनरोरगमुकुटकिरणरंजितचरणे, परमजिनमुखकमलसंभवति ते।दुरितघनवनविषयतरुनिकरपरशुनिभे, वरसदागमसारस्यंदितनु ते।।२।।जयमंगलं…….. अर्थ:- देवों,मनुष्यों एवं उरगों के मुकुट मणियों की किरणों…