सरस्वती स्तुति: लेखक—श्री ज्ञानभूषण मुनि विरचित द्रुतविलम्बित— छन्द: त्रिजगदीश जिनेन्द्र मुखोद्भवा, त्रिजगति—जन—जाति—हतंकारा। त्रिभुवनेशनुता हि सरस्वती, चिदुपलब्धिमियं वितनोतु में।।१।। जो तीन जगत् के नाथ जिनेन्द्र भगवान् के मुख से उत्पन्न हुई है, जो तीनों जगत् के जन समूह का हित करने वाली है तथा तीनों लोकों के इन्द्र जिसकी स्तुति करते हैं ऐसी…
सरस्वती माता की स्तुति रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती शेर छन्द- कमलासिनी श्रुतधारिणी माता सरस्वती। जिनशासनी अनुगामिनी माता सरस्वती।। है द्वादशांग रूप से निर्मित तेरी काया। सम्यक्त्व तिलक माथे पे चारित्र की छाया।। विद्वानों से भी पूज्य तुम माता सरस्वती। जिनशासनी अनुगामिनी माता सरस्वती।।१।। जिनवर की मूर्ति तेरे मस्तक पे राजती। वन्दन करें जो उनकी ज्ञान…
सरस्वती माता की पूजा रचयित्री-गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी जिनदेव के मुख से खिरी, दिव्यध्वनी अनअक्षरी। गणधर ग्रहण कर द्वादशांगी, ग्रंथमय रचना करी।। इन अंग पूरब शास्त्र के ही, अंश ये सब शास्त्र हैं। उस जैनवाणी को जजूँ, जो ज्ञान अमृतसार है।।१।। ॐ ह्रीं अर्हन्मुखकमलविनिर्गतद्वादशांगमयी सरस्वती देवि! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं।…
सरस्वती देवी के १०८ मंत्र अर्हद्वक्त्राब्जसंभूतां, गणाधीशावतारितां । महर्षिधारितां स्तोष्ये, नाम्नामष्टशतेन गां ।। १. ॐ ह्रीं श्री आदिब्रह्ममुखाम्भोज प्रभवायै…