पुण्यास्रव पूजा
पुण्यास्रव पूजा पुण्यास्रव व्रत में अथ स्थापना (शंभु छंद) अर्हंत जिनेश्वर सांप्रायिक, आस्रव से रहित पूर्ण ज्ञानी। ये पुण्य के फल हैं पुण्यराशि, पुण्यास्रव के कारण ज्ञानी।। हम इनका आह्वानन करके, भक्ती से अर्चा करते हैं। इनकी पूजन से पापास्रव, नहिं हो यह वांछा करते हैं।।१।। ॐ ह्रीं सर्वास्रवविरहित-अर्हज्जिनेश्वर! अत्र अवतर अवतर…