भगवान ऋषभदेव की निर्वाणभूमि कैलाश पर्वत (अष्टापद तीर्थ) जैसा कि कुन्दकुन्दाचार्य ने निर्वाण भक्ति में कहा है कि— ‘अट्ठावयम्मि उसहो, चंपाए वासुपुज्ज जिणणाहो । उज्जंतेणेमिजिणो, पावाएणिव्वुदो महावीरो ।। ग्रंथों में कथित वह अष्टापद अर्थात् कैलाश पर्वत तो वर्तमान में अन्य तीर्थों की भांति उपलब्ध नहीं है तथापि आगम में कैलाश पर्वत की महिमा पढ़कर जैन…
भगवान ऋषभदेव की दीक्षा एवं केवलज्ञान स्थली संगम के तट पर श्री ऋषभदेव तपस्थली तीर्थ का अनोखा संगम —पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी प्रयाग तीर्थ की प्राचीनता — भारतदेश की वसुन्धरा पर शाश्वत तीर्थ अयोध्या और सम्मेदशिखर के समान ही कर्मयुग की आदि से प्रयाग तीर्थ का प्राचीन इतिहास रहा हैं । आज से करोड़ों…
वीर नि. सं. २५२७, सन् २००१ भगवान महावीर स्वामी के २५००वें जन्मकल्याणक महोत्सव वर्ष के अंतर्गत इस पुस्तक को लिखा गया | इस पुस्तक में चौबीस तीर्थंकरों के संक्षिप्त परिचय प्रदान किये हैं , जिसमें उनके पञ्चकल्याणक स्थान के साथ – साथ तीर्थंकरों के माता-पिता , चिन्ह , वर्ण , देहवर्ण , आयु , अवगाहना आदि का वर्णन है |