२० सीता निर्वासन-लव व कुश का जन्म
सीता निर्वासन-लव व कुश का जन्म एवम विवाह श्रीरामचन्द्र अपने सिंहासन पर विराजमान हैं। सखियों सहित सीता वहाँ आकर विनय पूर्वक नमस्कार कर यथोचित आसन पर बैठ जाती हैं पुनः निवेदन करती हैं – ‘‘हे नाथ! रात्रि के पिछले प्रहर में आज मैं ने दो स्वप्न देखे हैं सो उनका फल आपके श्रीमुख से सुनना…