चतुर्विंशति तीर्थंकर स्तुति
परम पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की मौलिक कृति २४ तीर्थंकर स्तुति में भगवान आदिनाथ से लेकर महावीर स्वामी पर्यंत चौबीसों तीर्थंकर की स्तुतियाँ हैं जो कि प्रत्येक भक्त को भक्ति की प्रेरणा प्रदान करती हैं | इन स्तुतियों में एकाक्षरी से लेकर ३२ अक्षरी छंद का प्रयोग माताजी ने किया है | शम्भु छंद में रचित इन स्तुतियों में प्रत्येक तीर्थंकर के नाम, माता- पिता के नाम , जन्मनगरी आदि सम्पूर्ण इतिहास भरा हुआ है | इन विशिष्टताओं के साथ-साथआध्यात्मिक आनंद और वैराग्य रस से ओत-प्रोत ये सभी स्तुतियाँ अपने आपमें सर्वांगीण होने से मानो उत्तरपुराण का अध्ययन करा देती हैं |
वास्तव में इन स्तुतियों में कल्पवृक्ष सरीखी अचिंत्य शक्ति है जिसके पठान- श्रवण से चौबीसों तीर्थंकर के बारे में जानकर उनका गुणानुवाद कर आप सभी महान पुण्य का अर्जन करें |