09. सम्यक्त्व का लक्षण
सम्यक्त्व का लक्षण सम्माइट्ठी जीवो पवयणं णियमसा दु उवइट्ठं। सद्दहदि असब्भावं अजाणमाणो गुरुणिओगा।।१०७।। सम्यग्दृष्टि जीव सर्वज्ञ के द्वारा उपदिष्ट प्रवचन का तो नियम से श्रद्धान करता ही है, किन्तु कदाचित् अज्ञानवश सद्भूत अर्थ को स्वयं नहीं जानता हुआ गुरु के नियोग से असद्भूत अर्थ का भी श्रद्धान करता है। (कषायपाहुड़सुत्त अधिकार १०, गा. १०७, पृ….