जैन तीर्थ हस्तिनापुर दर्शन!
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केवलज्ञान के लिए प्रयुक्त विशेषण केवलज्ञान सभी ज्ञानों का चरमोत्कर्ष है। केवलज्ञान की प्राप्ति के बाद ही आत्मा सम्पूर्ण रूप से अनावृत्त होती है एवं स्वाभाव में रमण कर शुद्ध चैतन्य की अनुभूति करते हुए सिद्ध, बुद्ध, निरंजन, निराकार एवं निर्विकार अवस्था को प्राप्त करती है अर्थात् स्व—स्वरूप में स्थित होती है। प्राचीन काल में…
निगोद-सातों नरकों के नीचे जो स्थान है वह निगोद कहलाता है” निगोद के दो भेद है-१.इतर निगोद २.नित्य निगोद
ध्यानसूत्र (श्री माघनंदिआचार्यविरचित) (सामायिक में ध्यान के पूर्व इन सूत्रों का भी चिंतवन कीजिए। ये सूत्रमंत्र निश्चयनय की अपेक्षा से शुद्धात्मा की भावनास्वरूप हैं।) रागद्वेष-मोह रहितोऽहं क्रोध-मान-माया-लोभ रहितोहं पंचेन्द्रियविषयव्यापार-शून्योहं मनोवचनकायक्रियारहितोहं द्रव्यकर्मभावकर्मनोकर्मरहितोहं ख्यातिपूजालाभादि-विभावभावरहितोहं दृष्टश्रुतानुभूतभोगाकांक्षा रहितोहं शल्यत्रयरहितोहं गारवत्रय-रहितोहं दंडत्रयरहितोहं विभावपरिणामशून्योहं निजनिरंजनस्वरूपोहं स्वशुद्धात्म-सम्यक्श्रद्धानपरिणतोहं भेदज्ञानानुष्ठानपरिणतोहं अभेदरत्नत्रयस्वरूपोहं निर्विकल्प-समाधिसंजातोहं वीतरागसहजानंदस्वरूपोहं अत्यानंदस्वरूपोहं स्वसंवेदन-ज्ञानामृतभरितोहं ज्ञायवैकस्वभावोहं सहजशुद्धपारिणामिकस्वभावरूपोहं सहजशुद्धज्ञानानंदैकस्वभावोहं महाचलननिर्भरानंदस्वरूपोहं चिन्मात्रमूर्तिस्वरूपोहं चैत्न्यरत्नाकरस्वरूपोहं चैतन्यामरद्रुमस्वरूपोहं चैतन्यामृताहारस्वरूपोहं ज्ञानपुंजस्वरूपोहं…
हुण्डावसर्पिणी काल असंख्यात अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी काल के बीत जाने पर एक बार अनेक अघटित घटनाओं को प्रदर्शित करने वाला जो काल आता है , उसे हुण्डावसर्पिणीकाल कहते हैं । वर्तमान में वही हुण्डावसर्पिणीकाल चल रहा है । उसी के अन्तर्गत दुःषमा नामका पंचम काल चल रहा है ।
पड़गाहन विधि – दिगम्बर आम्नाय में साधू जब आहार के लिए निकलते हैं तो श्रावक उनका अत्र अत्र तिष्ठ तिष्ठ कहकर पड़गाहन करते हैं”यही पड़गाहन विधि है”
अष्ट द्रव्य -जैन धर्म के अनुसार जिनेन्द्र भगवान की पूजा अष्ट द्रव्यों से की जाती है ” अष्ट द्रव्यों के नाम-१.जल(पानी) २.चन्दन ३.अक्षत(चावल) ४.पुष्प ५.नैवेध्य ६.दीप(दीपक) ७.धूप ८.फल
सप्तव्यसन इसी शृँखला में ‘‘सप्तव्यसन’’ नामक पुस्तक में सातोें व्यसनों के त्याग की प्रबल प्रेरणा प्रदान की है। प्रत्येक व्यसन के सेवन से हानि को दर्शाने वाले प्रेरक उदाहरण भी दिए हैं जिसको पढ़कर प्रत्येक व्यक्ति इन व्यसनोें का स्वयं त्याग करके दूसरों को भी त्याग करने की प्रेरणा प्रदान कर सकता है। इसके अतिरिक्त…
आलू बुखारा के नुस्खें आलू बुखारा एक ऐसा फल है। जिसमें प्रचुर मात्रा में पौषक तत्व पाए जाते है, इसे खाने से आपका शरीर भी स्वस्थ रहता है, इसके जूस को नियमित लेने से धूप के कारण त्वचा को होने वाले नुकसान से राहत मिलती है, प्लम विटामिन का फुड सप्लीमेंट है, इसका सेवन मौसम…