06. ग्यारह प्रतिमा
ग्यारह प्रतिमा सम्यग्दर्शन, अणुव्रत, गुणव्रत, शिक्षाव्रत और सल्लेखना इन गुणों को धारण करने वाले श्रावक के ग्यारह पद या स्थान होते हैं। इन्हें प्रतिमा कहते हैं। इन ग्यारह प्रतिमाओं में से किसी भी प्रतिमा में अपने पद के अनुसार चारित्र होते हुए भी पूर्व-पूर्व की प्रतिमा का चारित्र होना बहुत जरूरी है। श्रावक अपने संयम…