07. बारहअनुप्रेक्षा ( गणिनी ज्ञानमती कृत )
बारह अनुप्रेक्षा (गणिनी ज्ञानमती कृत) अनित्य भावना अब सर्वप्रथम अनित्य भावना को कहते हैं। इसका दूसरा नाम अनित्य अनुप्रेक्षा है। अध्यात्म भाषा में हिन्दी काव्य-अनित्य भावना- (शंभु छंद) तन धन यौवन इन्द्रिय सुख ये, सब क्षणभंगुर हैं नित्य नहीं। मैं नित्य अचल अविनश्वर हूँ, स्वाभाविक शक्ति अचिंत्य कही।। मैं नित ध्याऊँ निज आत्मा को, अविनश्वर…