भगवान पार्श्वनाथ दसवाँ भव निर्देशक –(वाराणसी नगरी में महाराज अश्वसेन अपने सिंहासन पर स्थित हैं-बंदीगण महाराज के अगणित गुणों का बखान कर रहे हैं तथा समय-समय पर मंत्रीगण राज्य की सुव्यवस्था और प्रजा के सुख वैभव का वर्णन करते हुए महाराज को प्रसन्न कर रहे हैं। इसी बीच सौधर्म स्वर्ग में अपनी सुधर्मा सभा में…
षट्खण्डागम का विषय पुष्पदन्त और भूतबलि द्वारा जो ग्रंथ रचा गया उसका नाम क्या था ? स्वयं सूत्रों में तो ग्रंथ का कोई नाम हमारे देखने में नहीं आया, किन्तु धवला कारने ग्रंथ की उत्थानिका में ग्रंथ के मंगल निमित्त, हेतु, परिमाण, नाम और कर्ता, इन छह ज्ञातव्य बातों का परिचय कराया है। वहां इस…
लक्षण जानें, बीमारी पहचानें प्राय: लोग बीमारी के हद से गुजरने या असहनीय होने पर ही डॉक्टर के पास जाते हैं किन्तु यह ठीक बात नहीं होती क्योंकि तब तक बीमारी लाइलाज भी हो सकती है। अगर शुरूआत में ही लक्षणों के आधार पर बीमारी का पता लग जाये तो डॉक्टर की सलाह लेकर किसी…
बंध प्रकरण बंध के भेद प्रभेद पयडिट्ठिअणुभागप्पदेसबंधोत्ति चदुविहो बंधी। उक्कस्समणुक्कस्सं जहण्णमजहण्णगंति पुधं।।३१।। प्रकृतिस्थित्यनुभागप्रदेशबंध इति चतुर्विधो बंध:। उत्कृष्टोनुत्कृष्ट: जघन्योऽजघन्यकं इति प्रथक्।।३१।। अर्थ — १. प्रकृति बंध, २. स्थिति बंध, ३. अनुभाग बंध और ४. प्रदेश बंध इस तरह बंध के चार भेद हैं तथा इनमें भी हर एक बंध के १. उत्कृष्ट २. अनुत्कृष्ट, ३. जघन्य…
स्वाइन फ्लू से न हो परेशान, इन पांच घरेलू चीजों में छुपा है बचाव का समाधान स्वाइन फ्लू का खौफ हर शहर, कस्बे और गांवों में दिखने लगा है। लोग डरे—सहमे हैं। इस कारण देश में सैंकडों मौतें हो चुकी हैं। इसके मरीजों से कई हॉस्पिटल के वार्ड भरे पड़े हैं। आम लोग इसका आसान…
सम्यग्दर्शन के कारण क्षायिकदृष्टिलब्ध्यै या, सामग्रयार्षे प्ररूपिता। सा मे भूयात्त्वरं देव!, युष्मत्पादप्रसादत:।।१।। क्षायिक सम्यग्दर्शन की प्राप्ति के लिये जो सामग्री आर्षग्रंथों में कही गई है। हे भगवन्! आपके चरण कमल के प्रसाद से वह मुझे शीघ्र ही प्राप्त होेवे। मार्ग और मार्ग का फल ये दो प्रकार ही जिनशासन मेें कहे गए हैं। मोक्ष के…
जैन साहित्य एवं दर्शन में भारतीय संविधान के मूल तत्व डा. प्रेमचन्द जैन गंज बासौदा सम्प्रति बेंगलोर (कर्नाटक) संविधान क्या है प्रसिद्ध संविधान विशेषज्ञ ब्राइस के अनुसार ‘ संविधान ऐसे सुरथापित नियमों का समूह है जो सरकार के संचालन से संबंधित हों और उसे निर्देश देते हैं ।”ब्राइस, पीआरभाटिया द्वारा तुलनात्मक सरकारें -सिद्धान्त एवँ व्यचहार…
प्रमाण—समीक्षा प्रमाण का लक्षण सम्यग्ज्ञानं प्रमाणं । अत्र सम्यक्पदं संशयविपयंयानध्यवसायनिरासाय क्रियते अप्रमाणत्वादेतेषां ज्ञाननामिति। (न्या.पृ.९) सच्चे ज्ञान को प्रमाण कहते हैं। यहां जो सम्यक्पद है वह संशय, विपर्यय और अनध्यवसाय के निराकरण के लिए क्योंकि ये तीनों ज्ञान मिथ्या ज्ञान हैं।संशय— विरुद्धानेककोटिस्पर्शि ज्ञानं संशय:, यथा स्थाणुर्वा पुरूषों वेती। (न्या.पृ.९) विरुद्ध अनेक पक्षों के स्पर्श करने वाले…