श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा विरचित मेरी स्मृतियाँ — एक समीक्षा पुरुषोत्तम दुबे वैराग्य का अर्थ है, खिंचाव का अभाव। वैराग्य के सम्बन्ध में पतंजली ने कहा है— दृष्टानु श्रविक विषय वितृष्णस्य वशीकारसंज्ञा वैराग्यम (१.१५) दृष्ट और आनुश्रविक विषयों के प्रति वितृष्णा की वशीकार भावना को वैराग्य कहते हैं। इसके चार भेद है या यों कहना…
यमकशैल पर देवभवन एवं पांडुकवन में जिनमंदिर निषधपर्वत के उत्तर में एक हजार योजन जाकर सीतोदा नदी के दोनों किनारों पर यमकशैल स्थित हैं३।।२०७५।। नदी के पूर्व में प्रकाशमान उत्तम रत्नों के किरणसमूह से सहित यमकूट और पश्चिम में मेघकूट है।।२०७६।। इन दोनों पर्वतों का अन्तराल पाँच सौ योजन मात्र है। प्रत्येक पर्वत की उँचाई…
सूरत सूरत नगर के दिगम्बर जैन मन्दिर:— भारत वर्ष में सूरत नगर किसी भी क्षेत्र के लिए अनजाना नाम नहीं है। अपितु यह कहें कि विश्व के लिये भी अनजान नहीं है। यशस्वी गुजरात राज्य के प्रसिद्ध एवं ऐतिहासिक नगरों में से एक नगर है सूरत जो कि पश्चिम रेलवे के मुम्बई से मात्र २६३…
मकान में वास्तु के अनुसार कहाँ क्या बनाये, रखें ? डॉ. एच.सी. जैन (ग्वालियर) उत्तर पश्चिम दिशा मेंआप अपने प्लाट की दिशा खुली रखें। वहाँ स्कूटर, कार रखें। मकान में बड़ी—बड़ी खिड़कियाँ , कूलर और चाहे आप अपना फ्रिज रखें। टेबल के उत्तर पश्चिम में जिन कागजों को जल्दी निपटाना हो, जिनका पेमेन्ट जल्दी करना…
सर्वसंपत् व्रत(पुत्र संपत व्रत) संसार में जितने भी सुख हैं, पुत्रप्राप्ति, सौभाग्य, संपत्ति, आदि भी धार्मिक व्रतों के प्रभाव से प्राप्त होते हैं। सौभाग्यवती महिला पुत्र-पुत्री-संतान सुख की प्राप्ति हेतु व्रत करने की इच्छुक हैं। वे तीर्थंकर भगवन्तों की माता की आराधना करते हुए व्रत करें। ये तीर्थंकर की माता इन्द्रों के द्वारा भी पूज्य…