09. कर्मबंध के भेद
कर्मबंध के भेद कषाय सहित जीव जो कर्म पुद्गलों को ग्रहण करता है, वह बंध है। इसके चार भेद हैं – प्रकृतिबंध, स्थितिबंध, अनुभागबंध और प्रदेशबंध। कर्मों का ज्ञानादि के ढकने का स्वभाव होना प्रकृतिबंध है। कर्मों मे आत्मा के साथ रहने की मर्यादा स्थितिबंध है। कर्मोें में तीव्र-मंद आदि फल देने की शक्ति अनुभाग…