05- उत्तम शौच धर्म के मुक्तक
उत्तम शौच धर्म के मुक्तक शुचि का जो भाव शौच वो ही, मन से सब लोभ दूर करना। निर्लोभ भावना से नित ही, सब जग को स्वप्न सदृश गिनना।। जमदग्नि ऋषि की कामधेनु, हर ली वह कार्तवीर्य लोभी। बस परशुराम ने नष्ट किया, क्षत्रिय कुल सात बार क्रोधी।।१।। तनु इन्द्रिय जीवन औ निरोग, के लोभ…