13. रावण का वध
रावण का वध (१५५)यह शब्द नहीं था वङ्कापात, रावण की गर्वित शक्ती पर ।वह चिल्लाकर बोला लक्ष्मण, मत गर्व करो चक्रीपद पर ।।जब देखा रावण का घमण्ड, बन गया आज लाचारी है।तब चक्र घुमाकर चला दिया, तब शोर हुआ था भारी है।। (१५६)रावण का हृदय विदीर्ण हुआ, गिर पड़ा वहीं पृथ्वीतल पर।सेना में हाहाकार मचा,…