टोंक!
टोंक – सम्मेदशिखर पर्वत के जिन स्थानों से भगवन्तों ने मोक्षधाम को प्राप्त किया , उन्हें जैन ग्रंथों में टोंक संज्ञा प्रदान की है । सम्मेदशिखर के पर्वत पर ऐसी २४ टोंक हैं । जहाँ भक्तगण श्रद्धापूर्वक जाकर प्रभु की वंदना करते हैं ।
टोंक – सम्मेदशिखर पर्वत के जिन स्थानों से भगवन्तों ने मोक्षधाम को प्राप्त किया , उन्हें जैन ग्रंथों में टोंक संज्ञा प्रदान की है । सम्मेदशिखर के पर्वत पर ऐसी २४ टोंक हैं । जहाँ भक्तगण श्रद्धापूर्वक जाकर प्रभु की वंदना करते हैं ।
शाश्वत – जो सदाकाल विद्यमान रहता है उसे शाश्वत कहते हैं । जैसे जैनधर्म शाश्वत है ,वैसे ही अयोध्या एवं सम्मेदशिखर तीर्थ शाश्वत माने जाते हैं ।
सम्मेदशिखरजी – यह शाश्वत सिद्धक्षेत्र वर्तमान में झारखण्ड प्रदेश में स्थित है ।इस तीर्थ की वंदना करने से नरक- पशु गति नहीं मिलती है , ऐसा जैन शास्त्रों में कथन आता है ।
अमृतसिद्धि योग- रविवार को हस्त नक्षत्र , सोमवार को मृगशिर नक्षत्र , मंगलवार को अश्विनी नक्षत्र , बुधवार को अनुराधा नक्षत्र ,गुरुवार को पुष्य नक्षत्र , शुक्रवार को रेवती नक्षत्र , शनिवार को रोहिणी नक्षत्र से सम्बन्ध होने पर अमृतसिद्धि योग बनता है ।
गुरु पुख्य योग – गुरुवार को पुष्य नक्षत्र आने पर गुरुपुष्य योग बनता है ।विशेष – ध्यान रहे कि गुरुपुष्यामृत योग के समय विवाह , मंगलवार वाले अमृतसिद्धि योग के समय नये घर में प्रवेश तथा शनिवार वाले अमृतसिद्धि योग के समय यात्रा नहीं करनी चाहिए ।
जैन साधू एवं साध्वियाँ – भारत की धरती पर सदा- सदा से साधू- साध्वियों का जन्म होता रहा है । उनकी त्याग- तपस्या से देश का मस्तक सदैव गौरव से ऊँचा रहा है । जैन रामायण पद्मपुराण में आचार्य श्री रविषेण स्वामी ने कहा है – यस्य देशं समाश्रित्य, साधवः कुर्वते तपः । षष्ठमंशं नृपस्तस्य,लभते…