कामदेव!
कामदेव –यह एक विशेष पद होता है ।जैन सिद्धान्त में २४ कामदेव होते हैं । इनमें से बाहुबली भगवान प्रथम कामदेव थे ।कामदेव का शारीरिक सौंदर्य संसार में अतुलनीय होता हैं ।
कामदेव –यह एक विशेष पद होता है ।जैन सिद्धान्त में २४ कामदेव होते हैं । इनमें से बाहुबली भगवान प्रथम कामदेव थे ।कामदेव का शारीरिक सौंदर्य संसार में अतुलनीय होता हैं ।
अनादिकाल –जिसका न कोई आदि है और न अन्त है,ऐसे शाश्वत काल को अनादिकाल कहते हैं ।अनादिकाल से इस धरती पर जैनधर्म एवं उसके सर्वोदयी सिद्धान्त चले आ रहे हैं ।जो प्राणिमात्र के लिए हितकारी हैं ।
जिनमंदिरजिस भवन में जिनेंद्र भगवान की प्रतिमाएँ विराजमान रहती हैं, उसे जिनमंदिर कहते हैं ।
णमो लोए सव्व साहूणं – लोक के सर्व साधुओं (साधु परमेष्ठी) को नमस्कार हो |
धर्मतीर्थ परम्परा केवली– जिस दिन वीर भगवान सिद्ध हुए उसी दिन गौतम गणधर केवलज्ञान को प्राप्त हुए पुनः गौतम स्वामी के सिद्ध हो जाने पर उसी दिन श्री सुधर्मास्वामी केवली हुए। सुधर्मास्वामी के मुक्त होने पर जंबूस्वामी केवली हुए। पश्चात् जंबूस्वामी के सिद्ध हो जाने पर फिर कोई अनुबद्ध केवली नहीं रहे। …
सृष्टि का क्रम भरत क्षेत्र के आर्यखण्ड में अवसर्पिणी-उत्सर्पिणी काल के दो विभाग होते हैं। जिसमें मनुष्यों एवं तिर्यंचों की आयु, शरीर की ऊँचाई, वैभव आदि घटते रहते हैं वह अवसर्पिणी एवं जिसमें बढ़ते रहते हैं वह उत्सर्पिणी कहलाता है। अद्धापल्यों से निर्मित दस कोड़ा-कोड़ी सागर१ प्रमाण अवसर्पिणी और इतना ही उत्सर्पिणी काल भी है,…
ज्ञान कल्याणक – तीर्थंकर भगवान के जब चार घातिया कर्मों का नाश हो जाता है , तब उन्हें केवलज्ञान प्रकट हो जाता है । इसी अवस्था का नाम है- ज्ञान कल्याणक ।
षोडशकारण व्रत – यह षोडशकारण अर्थात् सोलहकारण पर्व वर्ष में – माघ , चैत्र एवं भादों इन तीन महीनों में तीन बार आता है । इसमें ३२ दिन तक लोग व्रत भी करते हैं ।