दस धर्म महत्त्व!
दस धर्म महत्त्व सिद्धिप्रासादनि:श्रेणी-पंक्तिवत् भव्यदेहिनाम्। दशलक्षणधर्मोऽयं, नित्यं चित्तं पुनातु न:।।१।। भव्य जीवों के सिद्धिमहल पर चढ़ने के लिये सीढ़ियों की पंक्ति के समान यह दशलक्षणमय धर्म नित्य ही हम लोगों के चित्त को पवित्र करे। उत्तम क्षमा धर्म सर्वं यो सहते नित्यं क्षमादेवीमुपास्य स:। पाश्र्ववत् जायते जित्वोपसर्गांश्च परीषहान्।।१।। शांति:किं स्यात्व्रुधाकिं नु नश्येत् वैरं हि…