त्रैलोक्य जिनालय पूजा
त्रैलोक्य जिनालय पूजा स्थापना नरेन्द्र छंद त्रिभुवन के जिनमंदिर शाश्वत, आठ कोटि सुखराशी। छप्पन लाख हजार सत्यानवे, चार शतक इक्यासी।। प्रति जिनगृह में मणिमय प्रतिमा, इक सौ आठ विराजें। आह्वानन कर जजूँ यहाँ मैं, जन्म-मरण दु:ख भाजें।।१।। ॐ ह्रीं त्रिलोकसंबंधि अष्टकोटिषट्पंचाशल्लक्ष-सप्तनवतिसहस्रचतु:शतैकाशीतिजिनालयजिनबिम्बसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं त्रिलोकसंबंधि अष्टकोटिषट्पंचाशल्लक्ष-सप्तनवतिसहस्रचतु:शतैकाशीतिजिनालयजिनबिम्बसमूह! अत्र तिष्ठ…