जानिए इंद्र ध्वज विधान की महिमा हस्तिनापुर तीर्थ पर अष्टान्हिक पर्व में चल रहा इंद्र ध्वज महामंडल विधान बंधुओं हस्तिनापुर की धरा को देखकर शायद ऐसा सोचने पर मजबूर हो जाता कि यह मध्यलोक है या स्वर्ग यहां सुबह से लेकर रात्रि तक पूजा होती रहती है। ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से हर दिन पूजा…
मनोकामना सिद्धि विधान : एक समीक्षा —प्रतिष्ठाचार्य पं. नरेश कुमार जैन ‘‘कांसल’’ , जम्बूद्वीप हस्तिनापुर सिद्धान्तवाचस्पति, न्यायप्रभाकर, वात्सल्यर्मूित परम पूज्या १०५ गणिनी आर्यिका शिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी की सुशिष्या प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री १०५ चन्दनामती माताजी द्वारा रचित ‘‘मनोकामना सिद्धि विधान’’ जिनेन्द्र भक्ति पूजन की एक अनुपम कृति है। प्रस्तुत कृति की रचना पू. माताजी ने…
श्री सोलहकारण पूजा विधान समीक्षक—प्रतिष्ठाचार्य पं. प्रवीणचंद जैन शास्त्री जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर (मेरठ) उ.प्र. साहित्य समाज का दर्पण है एवं आगम आत्मा, धर्म व विश्व का तीसरा नेत्र कहा गया है जो दर्पण के बिना भी ज्ञान कराता है। सोलहकारण पूजा विधान परम पूज्य प्रज्ञाश्रमणी र्आियका श्री चंदनामती माताजी के द्वारा रचित है। १३६ पृष्ठों के इस…
कल्याणमंदिर विधान : एक समीक्षा समीक्षक—पं. शीतलचन्द जैन (पूर्व प्राचार्य), ललितपुर उ. प्र. पूज्य प्रज्ञाश्रमणी चन्दनामती माताजी द्वारा रचित ‘‘कल्याणमन्दिर विधान’’ सरल हिन्दी भाषा में है। इस विधान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि श्रावक इसे पढ़कर स्वयं इस विधान को सम्पन्न कर सकता है। सम्पूर्ण विधि विधान की रूपरेखा इस कृति में है।…
सर्वसाधु पूजा स्थापना गीताछंद जो नित्य मुक्तीमार्ग रत्नत्रय स्वयं साधें सही। वे साधु संसाराब्धि तर पाते स्वयं ही शिव मही।। वहं पे सदा स्वात्मैक परमानंद सुख को भोगते। उनकी करे हम अर्चना, वे भक्त मन मल धोवते।।१।। ॐ ह्रीं णमो लोए सव्वसाहूणं सर्वसाधुपरमेष्ठिसमूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं णमो लोए सव्वसाहूणं सर्वसाधुपरमेष्ठिसमूह! अत्र तिष्ठ…
महावीर की बाल सभा एवं सर्प क्रीड़ा (जन्मकल्याणक के दिन रात्रि में पालना एवं बालक्रीड़ा के पश्चात् मंच पर भगवान महावीर की यह बाल सभा बच्चों से प्रस्तुत कराएँ) राजमहल का दृश्य है, बीच¨ बीच में लगभग 8 वर्ष के बालक को महावीर के रूप में सुसज्जित करके सिंहासन पर बिठावें अर बगल की कुर्सी…
राजदरबार का गीत तर्ज-लिया प्रभू अवतार………… लगा प्रभू दरबार, जय जयकार जय जयकार जय जयकार। अवध के राजकुमार, जय जयकार जय जयकार जय जयकार।। आज खुशी है आज खुशी है, हमें खुशी है तुम्हें खुशी है। खुशियाँ अपरम्पार, जय जयकार………………..।। लगा….।।1।। पुष्प और रत्नों की वर्षा, सुरपति करते हरषा-हरषा। बजे दुन्दुभी सार, जय जयकार………………..।। लगा….।।2।।…
अथ वास्तुबलिविधानम् (वास्तु विधान) अथ पूर्ववद्वायुकुमारादिप्रयोगेण भूमिसंस्कारः। ततः संकल्पः। अथ पुण्याहवाचना विधेया- (पूर्व के समान वायुकुमार आदि की पूजा करके भूमिशोधन विधि करें पुनः संकल्प करके पुण्याहवाचन विधि करें। अनंतर ब्रह्मस्थाने पद्य पढ़कर दश दिशा में दर्भ स्थापना करें।) ब्रह्मस्थाने मघोनः ककुभि हुतभुजो धर्मराजस्य रक्षो-राजस्याहींद्रपाणेरवनिर्हभृतः शंभुमित्रस्य शंभोः।। नागेंद्रस्यामृतांशोरपि सदकलसद्गंधपुष्पादिदूर्वा। दर्भान्वेद्या दिशासु न्यसनमिह महे यज्ञनिर्विघ्नसिद्ध्यै।।1।। ॐ…
विशेष श्लोक व मंत्र प्राण प्रतिष्ठा मंत्र ॐ ऐं आं क्रों ह्रीं श्रीं क्लीं असिआउसा अयं जीवः असौ चेतनः अस्मिन् प्राणाः स्थिताः सर्वेन्द्रियाणि इह स्थापय स्थापय देहे वायुं पूरय पूरय संवौषट् चिरं जीवन्तु चिरं जीवन्तु। सूरिमंत्र ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रौं ह्र: असिआउसा अर्हं ॐ ह्रीं स्म्ल्व्र्यं ह्मल्व्र्यूं त्म्ल्व्र्यूं ल्म्ल्व्र्यूं व्म्ल्व्र्यूं प्म्ल्व्र्यूं म्म्ल्व्र्यूं भ्म्ल्व्र्यूं क्ष्म्ल्व्र्यूं…