संकट मोचन विनती
संकट मोचन विनती हे दीनबन्धु श्रीपति करुणानिधानजी। यह मेरी विथा क्यों न हरो बार क्या लगी।।टेक।। मालिक हो दो जहान के जिनराज आपही। एबो हुनर हमारा कुछ तुमसे छिपा नहीं।। बेजान में गुनाह मुझसे बन गया सही। कंकरी के चोर को कटार मारिये नहीं।।हे.।।१।। दु:खदर्द दिलका आपसे जिसने कहा सही। मुश्किल कहर बहरसे लिया है...