समवसरण सिद्धार्थ वृक्ष स्तोत्र
समवसरण सिद्धार्थ वृक्ष स्तोत्र नरेन्द्र छंद समवसरण में छठी भूमि है, कल्पवृक्ष की सुंदर।चारों दिश में एक-एक, सिद्धार्थ वृक्ष हैं मनहर।। इनमें चारों दिश इक इक हैं, सिद्धों की प्रतिमायें।हम वंदे नित शीश नमा कर, इच्छित फल पा जायें।।१।। चाल—हे दीनबंधु— श्री आदिनाथ का समोसरण विशाल हैं। ध्वजभू को वेढ़ रजतमयी तृतिय साल१ है।।सिद्धार्थ नमेरू...