नीचगोत्र कर्म प्रकृति!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नीचगोत्र कर्म प्रकृति – Neechagotra karmaprakriti. Karmic nature causing birth in low-caste group. वह कर्म प्रकृति जिसके उदय से गर्हित कुल में जन्म होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नीचगोत्र कर्म प्रकृति – Neechagotra karmaprakriti. Karmic nature causing birth in low-caste group. वह कर्म प्रकृति जिसके उदय से गर्हित कुल में जन्म होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रावण – 8 वा प्रतिनारायण राजा रत्नश्रवा व रानी कैकसी का पुत्र अपरनाम दषानन। यह लंका का राजा था इसकी 18 हजार रानियां थी। जैन धर्म के अनुसार सीता का हरण कर नारायण लक्ष्मण के हाथों मरकर तीसरे नरक गया। Ravana-The 8th Pratinarayan, The son of the king ratnasharva his other name was dashanan
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्ष्याभक्ष्य – Bhaksyabhaksya. Different types of edible (vegitable) and non- edible (non-vegitable) items. दाल, दूध, दही, फल आदि भक्ष्य अर्थात् खाने योग्य एंव मघ, मांस, मधु, उदुम्बर फल आदि अभक्ष्य अर्थात् ‘नहीं खाने योग्य’ पदार्थ “
त्रायस्त्रिंश Thirty three, A type of deities (33 in number). तैंतीस , 33, देवों के इन्द्र, सामानिक आदि दस भेदों में से एक भेद । इनकी संख्या 33 है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वचन गोचरातीत – Vachan Gocharaatita.: That which can not be expressed in words. जिसका वचन के द्वारा कथन न किया जा सके ” जैसे – अरिहंत भगवान के अनंत गुणों का वचनों के द्वारा वर्णन करना अशक्य हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निष्परिग्रह – Nishparigraha. Deprived of possession or attachement. संपूर्ण परिग्रह से रहित होना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रात्रिक पूजा – त्रैकालिक पूजा का एक प्रकार अर्थात रात्रि में पूजा करना। सागार धर्मामृत ग्रंथों में श्रावको के लिए तीनों संध्याओं में पूजन करने का विधान है। Ratrika Puja-A kind of Traikalik worshiping, worshiping the lord in night time
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वकुश –Vakush: Jain saints with attachments . चितकबरा ;जैसा सफेद पर काले धब्बे होते हैं वैसे ही मुनिगण जिनके निर्मल आचार (चारित्र ) में शरीर आदि का मोह धब्बे की तरह होता है “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == संशय : == जे किर किसीवलाई फलसंसईणो किसिं बिलंबंति। अविकलकारणभावे वि सस्सभागी न ते हुंति।। एवमणुट्ठाणमिणं फलसंसयगब्भिणं पकुव्वंता। दुक्करयं पि हु तप्फला विवज्जिया ते विसीयंति।। —कहारयणकोष : ६-७ जो लोग किसान हैं, वे फल में संशय रखते हुए यदि कृषि कर्म में विलम्ब करते हैं तो वे अविकल…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वंगा –Vangaa.: Name of a river of middle Arya Khand(region). मध्य आर्यखंड की एक नदी “