भाव पाहुड!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव पाहुड – Bhava Pahuda. A book written by Acharya Kund- Kund. आचार्य कुन्दकुन्द (ई. १२७-१७९) कृत एक ग्रंथ “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव पाहुड – Bhava Pahuda. A book written by Acharya Kund- Kund. आचार्य कुन्दकुन्द (ई. १२७-१७९) कृत एक ग्रंथ “
गुप्तफल्गु A chief disciple of lord Rishabhadeva. ऋषभदेव भगवान के चौरासी गणधरों में एक ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परक्रम: Observing austerity sequentially as expounded in the scriptures. आगम में प्रतिपादित क्रम से तप करना, जैसे पहले मूलगुणों का पालन कर उत्तरगुणों को पालना ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पृथु – Prthu. The 15th son of Krishna’ brother (Baldev), Name of kings of Kura & Yadu dynasties, Broad, spa- cious. क्रष्ण के भाई बलदेव का १५ वाँ पुत्र ” कुरुवंशी एवं यदु (यादव) वंशी राजाओं का नाम, चौडा, विस्तृत “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भुतार्थ – Bhutartha. Another name of Makshmarga ‘Panth of salva-tion’. निश्चय नय, मोक्षमार्ग का अपरनाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सप्रतिपक्षी प्रकृति – Sapratipaksee Pakriti. Karmic nature with their opposite nature. जिन कर्म प्रकृतियों की प्रतिपक्षी कर्म प्रकृति मौजूद हो-साता वेदनीय, असाता वेदनीय, तीनों वेद, हास्यादि चार, एकेन्द्रियादि 5 जातियां, 6 संस्थान, 6 संहनन, 4 आनुपर्वी, 4 गति, औदारिक-वैक्रियिक दो शरीर तथा दोनो के दो अंगोपांग, दो गोत्र त्रसादि 10 युगल और दो विहायोगति…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाद्रवन – सिंह – निष्क्रीडित वृत – Bhadravana-Niskridita Vrata. A vow (fasting) to be performed with particular procedure. एक विशेष विधि एंव क्रम से किया जाने वाला व्रत ” व्रतविधान संग्रह से इसकी विधि देखें “
ग्रीवाधोनयन An infraction in the posture of meditation-bending of head downward. कायोत्सर्ग का एक अतिच्चार-ग्रीवा को नीचे की तरफ झुकाना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सप्तक्षेत्र – Saptaksetra. Seven regions of Jambudvip (Island) – Bharat, Haimvat, Hari, Videh, Ramyak, Hairanyavat & Eravat Kshetra. जम्बूद्वीप के भरत, हैमवत, हरि, विदेह, रम्यक्, हैरण्यवत एवं ऐरावत क्षेत्र।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पद्मोत्तर:A Deggajendra mountain situated in Bhadrashal forest, A ruler’Nagendradev; of Rajatprabh Summit of Kundal mountain, A deity resident of Nandyavart summit of Ruckak mountain. भद्रशाल वन में स्थित एक दिग्गजेन्द्र पर्वत, कुण्डल पर्वत स्थित रजतप्रभ कूट का स्वामी नागेन्द्रदेव, रूचक पर्वत के नन्द्यावर्त कूट पर रहने वाला देव ।