त्रिगुप्तिगुप्त!
त्रिगुप्तिगुप्त Controlling the activities of mind, speech and body, Father’s name of Lord Anantnath (reg. past birth). मन, वचन, काय इन तीनों योगों से गुप्त होना त्रिगुप्तिगुप्त है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिगुप्तिगुप्त Controlling the activities of mind, speech and body, Father’s name of Lord Anantnath (reg. past birth). मन, वचन, काय इन तीनों योगों से गुप्त होना त्रिगुप्तिगुप्त है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
आतोद्य Musical instruments. वाद्ययंत्रः ये तत, अतत, धन, सुषिर के भेद से 4 प्रकार के होते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] हंस संप्रदाय – Hammsa Sammpradaaya. Name of a sect of Vaishnav philosophy. वैष्णव दर्शन के प्रधान 4 सम्प्रदायो मे एक सम्प्रदाय। यह संप्रदाय द्वैताद्वैत या भेदाभेदवादी है, इन्हें हरिव्यासी भी कहते है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परद्रव्य रत:False belief of having possession of all destroyable matters including own body.जगत् में दर्शनमोहनीय कर्म के उदय से सम्पूर्ण पर पदार्थें, शरीर आदि को निज मानना ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विनय मिथ्यात्व – Vinaya Mithyatva. Wrong belief-paying reverence to all deities of all religions. मिथ्यात्व के ५ भेदों में एक भेद; मन वचन काय से सभी देवों को नमन करना, सभी पदार्थों को मोक्ष का उपाय मानना ” अर्थात् सर्व धर्मों व सर्व देवों को समान जानकर मानना “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वार्थाधिगम – Svaarthaadhigama. Self knowledgeable approach. अधिगम के दो भेदो मे एक भेद, यह ज्ञान स्वरुप है जो प्रमाण और नय भेदो वाला है।
द्वितीय मूल Cube of the 1st cube (related to maths). प्रथम मूल के मूल को द्वितीय मूल कहते हैं ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वाद्य – Svadya. Worth tasting, appetizing. आहार के 4 भेदो मे एक भेद। मुख का स्वाद बदलने के लिए खाने वाले लौग, इलायची आदि पदार्थ स्वाद्य कहलाते है।
द्वार Doors (of different types). दरवाजा , फाटक, प्रवेशद्वार, तोरण।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सांसारिक दुःख – Saansaarika Duhkha. Worldly affictions or troubles. लौकिक विषयों से उत्पन्न दुःख अर्थात् भोगसाधनात्मक भोगो का वियोग होने से जो दुःख उत्पन्न होता है। संसारी जीवों का इन्द्रिय सुख वासना जनित होने के कारण होने के कारण दुःखमय ही है क्योंकि आपत्त्किाल मे भोग व रोग चित्त मे उद्वेग करने वाले है।