तृणफल!
तृणफल A weighing unit. तोल का एक प्रमाण विशेष । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] स्वर निमित ज्ञान – Svara Nimitta Jnnaana. Inferential knowledge caused due to have voice of beings. मनुष्य व तिर्यचो के विचित्र शब्दो को सुनकर शुभाषुभ को जान लेना स्वर निमित्त ज्ञान कहलाता है। देखे-स्वर।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैताढय –Vaitadhya Another name of Vijayardhmountain, Range of some particular mountains in the middle of HaimvatKshetra (region) etc. विजयार्ध पर्वत का अपरनाम, हेमवत आदि अन्य क्षेत्रो के मध्य शब्दवान आदि कुटाकार पर्वत भी वैताढय कहलाते है “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वयंशोधक – Svayammsodhaka. One who repents himself for his faults, not before the preceptor (it is an infraction). प्रायष्चित देने से पूर्व ही स्वंय प्रायष्चित लेने वाला स्वंय शोधक कहलाता है (यह एक अतिचार है)।
ध्वजमाल A city in the north of Vijayardh mountain. विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संतति – Santati. Continued succession, offspring, descendants, lineage. परम्परा “
ध्येय The subject of meditation. ध्यान के विषय पंचपरमेष्ठी, अनुप्रेक्षाएं, अध्यात्म आदि।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == चाह : == ख्याति—पूजा—लाभं, सत्कारादि किमिच्छसि योगिन्। इच्छसि यदि परलोकम्, तै िंक तव परलोके ? —समणसुत्त : २३५ हे योगी ! यदि तू परलोक चाहता है तो ख्याति, लाभ, पूजा और सत्कार आदि क्यों चाहता है ? क्या इनसे तुझे परलोक का सुख मिलेगा ?
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वभाव गुणपर्याय – Svabhaava Gunaparyaaya. Different natural forms of a matter. द्रव्यो के अगुरुंलधु गुण के अनंत अविभाग प्रतिच्छेदो की समय समय मे उत्पन्न होने वाली जो पर्याये है वह द्रव्यो की स्वभाव गुणपर्याय कही गयी है।