ऋद्धिगौरव!
ऋद्धिगौरव Expression of dignity, venerability. शिष्य पुस्तक कमण्डलु आदि के द्वारा अपना बड़प्पन या अभिमान प्रकट करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
ऋद्धिगौरव Expression of dignity, venerability. शिष्य पुस्तक कमण्डलु आदि के द्वारा अपना बड़प्पन या अभिमान प्रकट करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चक्षुदर्शनावरण Obscurring Karma of visionary conation. दर्शानावरण कर्म के ९ भेदों में से एक भेद; जो कतमा चक्षु के द्वारा वस्तु का सामान्य ग्रहण नन होने दे ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आबाधा A time period between binding & fruition of Karmas. कर्म प्रकृति बंध होने के बाद जब तक उदयरूप व उदीरणा रूप वह कर्म प्रकृति हो तब तक का काल।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
त्वष्टा Name of a presiding deity of Chitra lunar. चित्रा नक्षत्र के अधिपति देवता का नाम। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
आप्तमीमांसा विवृद्धि A book written by ‘Kumarsen’. कुमारसेन (ई. सन्696) द्वारा रचित एक ग्रंथ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
त्रुटरेणु An area unit. क्षेत्र का प्रमाण विशेष, आठ संज्ञा- संज्ञाओं (सन्नासन्न) का एक त्रुटरेणु। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रात्रियोग – साधुओं का एक कृति कर्म। सायंकालीन प्रतिक्रमण के पष्चात योग भक्तिपूर्वक जैन साधु रात्रियोग धारण करते है।प्रात कालीन सामायिक से पूर्व योग भक्तिपूर्वक ही उसका निश्ठापान करते हैं। Ratriyoga-Meditation activities to be observed by saints during night hours (an austerity)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रीभूषण – Shreebhoosana. Name of a Bhattarak, the writer of many books like Shantinath Puran, Pandav Puran etc. शांतिनाथ पुराण, पांडव पुराण, द्वादशांग पूजा तथा प्रबोध चिंतामणि के कर्ता एक भट्टारक “
चक्षु इन्द्रिय Visual sense organ, sense of sight, ocular sense. आँखें, जिसके द्वारा संसारी जीव पदार्थों को देखता है उसे चक्षु इन्द्रिय कहते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]