रूज!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूज – रोग। Ruja-dieses, Illness
चरण Ascetic conduct, involving in introspection. चारित्र ; अपने में अर्थात् ज्ञानस्वभाव में ही निरंतर रमण करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मध्य ग्रैवेयक – Madhya Graviveyaka. Three particular heavenly abodes among 9 Graiveyaks. 9 ग्रैवेयक विमानों में बीच के तीन विमान ;यशोधर,सुभद्र , सुविशाल “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भरतेशवैभव – Bharatesavaibhava. Name of a book written by a poet Ratnakar. कवि रत्नाकर (ई.१५५१) कृत एक ग्रंथ “
गोरति Name of a Vidyadhar-one proficient in super power by birth. एक महारथी विद्याधर ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मद्यांग जातीय कल्प वृक्ष- Madyamga Jatiya Kalpavrksha. A type of wish fulfilling tree (providing exhilarating liquids). कल्पवृक्ष ; फैलती हुई सुंगंधि से युक्त तथा अमृत के समान मीठे मधु-मैरेय, सीधु, अरिष्ट और आसव आदि अनेक प्रकार के रसों को प्रदान करने वाले कल्प वृक्ष ” उपचार से इन वृक्षों को मद्यांग कहा है…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नमती – बीसवी सदी की एक प्रसिद्ध आर्यिका,जो गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी की गृहस्थावस्था की मा थी।सन् 1924 मे इनका जन्म महमूदाबाद में हुआ, इन्होंने अपने विवाह में पिता से दहेज मे प्राप्त पùनंदी पंचविंषतिका ग्रथ का स्वघ्याय करके अपने जीवन को सुसंस्कृत किया। जिसके फलस्वरूप इनकी संन्तानो में भी त्याग के बीज…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभ – Shubha. Auspicious, Prosperous, Lucky, A type of physique making Karma Causing attractive body. मांगलिक, समृद्धशाली, नामकर्म का एक भेद जिसके उदय से शरीर रमणीय होता है “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मतिज्ञान सिद्ध – Matigyana Siddha. Beings salvated by sensory knowledge ( according to Bhutpragyapan Naya). भूत प्रज्ञापननय की अपेक्षा मतिज्ञान से सिद्ध होने वाले जीव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नप्रभ – रूचक पर्वत का एक कूट Ratnaprabha- Name of a summit situated at Ruchak Mountain