देवावर्णवाद!
देवावर्णवाद False allegations for heavenly deities. दर्शनमोहनीय कर्म के आस्रव का एक कारण स्वर्गलोक में रहने वाले देवी- देवता सुरापान करते हैं , मांस खाते हैं इस प्रकार देवगति के देवों पर मिथ्या आरोप लगाना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
देवावर्णवाद False allegations for heavenly deities. दर्शनमोहनीय कर्म के आस्रव का एक कारण स्वर्गलोक में रहने वाले देवी- देवता सुरापान करते हैं , मांस खाते हैं इस प्रकार देवगति के देवों पर मिथ्या आरोप लगाना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्म (देव) – Brahma (dev). A type of Kalpavasi deities. कल्पवासी देवों का एक भेद, ५ वें स्वर्ग के देव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकादित्य –Lokaditya : Name of a king contemporary to Akaalvarsh. उत्तरपुराण की प्रशस्ति अनुसार अकालवर्ष के समकालीन एक राजा, आचार्य लोकसेन ने इनके समय में ही उत्तरपुराण को पूर्ण किया “समय –ई .898 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नरकगति – Niratagati. Destination of hell, hellish life course or destinity. नरकगति “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावि नैगमनय – Bhavi Naigamanaya. Wrong implication of something in present which is going to occure in future. एक नय; जो पदार्थ अभी अनिष्पन्न है,और भावि काल में निष्पन्न होने वाला है, उसे निष्पन्नवत कहना-अर्थात् जो बात आगे होगी उसको वर्तमान में कहना, जैसे अर्हत को सिध्द कहना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकबिंदुसार – Lokabindusaar. The 14th Purva (a part of Shrutgyan – scriptual knowledge) containing mathematical knowledge). 14वां पूर्व ,इसमें बारह करोड़ 50 लाख पद हैं “इन पदों में अंक राशि ,8 प्रकार के व्यवहार की विधि तथा राशि परिकर्म आदि गणित तथा समस्त श्रुत संपदा का वर्णन है “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परिमाणगत प्रत्यय :A type of renunciation. प्रत्याख्यान का एक भेद “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पद्मपुराण : Title of many books written by many Acharyas. आचार्य रविषेण (ई0 677) द्वारा राम-रावण कथा पर रचित संस्कृत पद्यबद्व एक ग्रंथ, और भी कई आचार्यो क्षरा इस नाम के ग्रथ रचे गये है।