उद्वेग!
उद्वेग Anxiety, Restlessness. इष्ट के वियोग में विह्वल भाव या घबराहट का भाव होना अर्थात् चिन्ता खेद विसमय आदि का होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उद्वेग Anxiety, Restlessness. इष्ट के वियोग में विह्वल भाव या घबराहट का भाव होना अर्थात् चिन्ता खेद विसमय आदि का होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंप: Name of a Jain Kannad poet. राजा अरिकेसरी के समय में हुए एक जैन कन्नड कवि (ई0 941) जिनकी आदिपुराण्चम्पू आदि कृतिया है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीर संघ – ViraSangha. Name of a group of saints after division of Moolsangh (original group). मूलसंघ के विघटन के पश्चात बना जैन साधुओं का एक संघ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संप्रति – Sanprati. Present time, Another name of king Chandragupt-II. वर्तमान, मगधराज अशोक का पौत्र, अपरनाम चन्द्रगुप्त द्वितीय ” समय – ई.पू. 220-211 “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुख मण्डप–Mukh Mandap. Canopy type space in front of situated–idol of Jaina Lord. अकृत्रिम जिनमंदिरो मेंगर्भ गृह जहा प्रतिमा विराजमान रहती है उसके आगे का मण्डप”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शोक (कर्मप्रकृति) – Shoka(Karmaprakriti). Karmic nature causing griefor sorrow. नोकषाय के 9 भेड़ों में एक भेद; जिसके उदय से शोक भाव होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रव्रज्या- सप्त परम स्थान में से एक; सम्पूर्ण परिग्रह त्याग कर Þजिनदीक्षाß ग्रहण करना। Pravrajya- Renunciation of worldly affair for Jaina initiation
त्रिखंड A particular triangular sequence of the fruition of Karmas. तीन म्लेच्छखण्डों को त्रिखण्ड कहते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुख्य धर्मध्यान – Mukhya Dharmdhyan. A type of righteous meditation; mental, meta–physical involvement. धर्मध्यान के दो भेदो (मुख्यऔर उपचार) में एक भेद; आध्यात्मिकता की और मन को एकाग्र करना” इसे निश्चय धयन भी कहते है”
चंवर An auspicious article which is to be kept near Tirthankars’ (Jaina-Lords’) idol. प्रतिमा के पास में विद्यमान रहने वाले अष्ट मंगल द्रव्यों में एक ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]