स्थिति तप!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति तप – Sthiti Tapa. A type of austerity.कायक्लेश तप का एक भेद।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति तप – Sthiti Tapa. A type of austerity.कायक्लेश तप का एक भेद।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संमूर्च्छन जन्म – Sammoorchchhana Janma. Spontaneous birth (formation of body organs or limbs by surrounding matter). जन्म के तीन भेदों में एक भेद; तीन लोकों में सर्वत्र बिना माता-पिता के सम्बंध से सब ओर से पुद्गलों को ग्रहण करके जो शरीर की रचना हो जाती है उसे संमूर्च्छन जन्म कहते हैं ” देखें- संमूर्च्छन…
छंदशास्त्र Prosody-the science of versification, many books written by Jainacharyas. काव्यानुशासन , व्यख्यालंकार , पिंगल आदि अनेक आचार्यों एवं पंडितों द्वारा रचित ग्रन्थ ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थापना -Sthaapanaa. Installation, establishment, positioning.धारण, स्थापना, कोष्ठा, प्रतिष्ठा एकार्थवाची है। जिसके द्वारा निर्णीत रुप से अर्थ स्थापित किया जाता है। वह स्थापना है।
देशावकाशिक व्रत Vow of keeping restriction in movement, food eating, sensual pleasures etc. to a limit. प्रथम शिक्षाव्रत – दिगव्रत की सीमा के अन्तर्गत दैनिक गमनागनम मे घर, बाजार, गली, मोहल्ला आदि की सीमा करना। निश्चित सीमा के बाहर गमन करने का त्याग , भोजन करने का त्याग, मैथुन करने का त्याग अथवा मौन धारण…
चलनी A type of listener who grasp meaningless thoughts. श्रोता का एक भेद ; सारभूत तत्त्व को छोड़कर जो निस्सार तत्व को ग्रहण करे ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यक् नय – Samyak Naya. A standpoint believing in righteousness सुनय। सम्यक् एकांत को सम्यक् नय और मिथ्या एकांत को नयाभास या मिथ्यानय कहते है।
देवकुरू A land of enjoyment situated in Videh Kshetra (region). विदेह क्षेत्र में मेरूपर्वत के दक्षिण में स्थित उत्तम भोगभूमि।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चुगलखोर One who deals in slander, A sycophant, A backbiter. दूसरों की शिकायत या चुगली करने वाला ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्त्रीवेद – Striiveda. Femininity (pertaining to sex).जिसके उदय से जीव स्त्री सम्बन्धी भावो को प्राप्त होता है वह स्त्री वेद है, अथवा जिन कर्म स्कन्धो के उदय से पुरुष मे आकांक्षा उत्पन्न है, उन कर्म स्कन्धो को स्त्रीवेद यह संबा है अथवा जिसके उदय से पुरुष मे रमने के भाव हो वह स्त्रीवेद है।